Navratra: सृष्टि की महाशक्ति हैं मां दुर्गा : आस्था की रातों में उम्मीदों का दीया
-देवी भगवती का माहात्म्य दुर्गा सप्तशती के नाम से प्रसिद्ध है, जो धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष ओर चारों पुरुषार्थों को प्रदान करता है। देवी के स्वरुपों का ज्ञान लोक-परलोक, दोनों को संवारता है।
प्राचीन ग्रंथों में ऋषि-महर्षियों के माध्यम से देवता, मनुष्य एवं मानव जाति के कल्याण के लिए देवी संवाद प्राप्त होते हैं। दुर्गा सप्तशती में देवी स्वयं कहती हैं, “जब-जब संसार में दानवीय बाधा उपस्थित होगी, तब-तब अवतार लेकर मैं शत्रुओं का संहार करूंगी। जिस प्रकार मैंने मधु-कैटभ आदि राक्षसों का विनाश किया, उसी प्रकार मैं भक्तों के जीवन में दुख एवं अज्ञान रूपी राक्षसों का विनाश कर उनके सारे मनोरथ सिद्ध करती हूं।”
देवी भगवती का माहात्म्य दुर्गा सप्तशती के नाम से प्रसिद्ध है, जो धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष और चारों पुरुषारथों को प्रदान करता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार, देवी के गोपनीय एवं रहस्थमय स्वरूपों का ज्ञान लोक-परलोक, दोनों को संवारता है।
नौ रूपों में करती हैं रक्षा
भक्तों की अलग-अलग कामनाओं की पूर्ति के लिए मां दुर्गा ने अपनी शक्तियों को नौ रूपों में विभकत किया है। भक्तों के अंतर्मन में स्थित होकर देवी कहती हैं कि “नवरात्र के प्रथम दिन मैं शैलपुत्री के रूप में भय का निवारण कर जीवों की रक्षा करती हूं।
दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी का रूप धारण कर भक्तों की स्मरण शक्ति विकसित करती हूं।
तीसरे दिन चंद्रघंटा के रूप में मैं आरोग्य और संपदा भक्तों को प्रदान करती हूं।
नवरात्र के चौथे दिन कृष्मांडा के स्वरूप में मैं आयु, यश बढ़ाती हूं और रक्त विकार को ठीक करती हूं।
पांचवें दिन मैं स्कंदमाता के रूप में भक्तों को उनके कर्मफल प्रदान कर इच्छापूर्ति करती हूं।
छठे दिन कात्यायनी के रूप में मैं विवाह योग्य कन्याओं को उत्तम वर एवं शेष भक्तों को विजय प्रदान करती हूं।
सातवें दिन कालरात्रि रूपा बनकर मैं ग्रह बाधा दूर कर भक्तों के मानसिक विकारों को हर लेती हूं।
आठवें दिन महागौरी के रूप में मैं सुख-संपत्ति प्रदान करती हूं और
नवरात्र के नवें दिन सिद्धिदात्री के रूप में मैं सिद्धि और मोक्ष प्रदान कर श्रद्धालुओं के तन, मन, धन को पुष्ट करती हूं।’
जैसी कामना, वैसा आशीर्वाद
नवरात्र में जो भक्त जिस मनोभाव और कामना से श्रद्धापूर्ण विधि-विधान के साथ मां के माहात्म्य दुर्गा सप्तशती का पाठ करता है, मां उसे उसी भावना और कामना के अनुसार फल प्रदान करती हैं। नवरात्र में देवी की नौ दिनों की पूजा नवग्रहों के अनिष्ट प्रभाव को भी शांत रखती है, जिससे रोग और शोक दूर होते हैं। भगवती दुर्गा नौ स्वरूपों में भक्तों के संकल्पित कार्य पूर्ण करती हैं, इसलिए उनकी उपासना का क्रम नौ दिन का होता है।