Ganesh chaturthi-2024: गणेश चतुर्थी 2024 पर अद्भुत संयोग

0
  • जानें किन लोगों की चमकेगी किस्मत और उपाय
  • श्री गणेश आरती व गणेश के सभी 32 रूप
  •  गणेश चतुर्थी 2024 क्यों है विशेष

Ganesh Utsav 2024: इस साल गणेश चतुर्थी 7 सितंबर 2024 को है ऐसे मे इसी दिन से गणेश महोत्सव शुरू होगा। गणेश उत्‍सव 10 दिन तक चलता है और 17 सितंबर को गणेश विसर्जन के साथ समाप्‍त होगा।

गणेश चतुर्थी 2024 पर गणेश स्‍थापना और पूजा के लिए बेहद शुभ मुहूर्त मिलने जा रहे हैं। इसके साथ ही ग्रह-नक्षत्रों की यह स्थिति 3 राशि वालों के लिए बेहद शुभ रहने जा रही है। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार इन लोगों को इतनी सुख-समृद्धि मिलेगी कि गणेश उत्‍सव के साथ इन लोगों के जीवन में भी उत्‍सवों का दौर शुरू हो जाएगा।

इस साल भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 6 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 01 मिनट पर शुरू हो गई है। वहीं इस तिथि का समापन 7 सितंबर को शाम 5 बजकर 37 मिनट पर होगा।

वहीं इस वर्ष गणेश जी की स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 3 मिनट से लेकर दोपहर के 1 बजकर 34 मिनट तक  रहेगा। इस दिन पूजा के लिए आपको पूरे 2 घंटे 31 मिनट का समय मिलेगा।  जबकि अनंत चतुर्दशी इस साल 16 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी। इसी दिन बप्पा की विदाई की जाती है।

ये बन रहे दुर्लभ संयोग : 100 साल बाद…
इस साल भाद्रपद शुक्‍ल गणेश चतुर्थी बेहद खास है कारण ये है कि 100 साल बाद गणेश चतुर्थी पर दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस साल गणेश चतुर्थी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, ब्रह्म योग और इंद्र योग का संयोग बन रहा है। साथ ही स्वाति और चित्रा नक्षत्र भी रहेगा।

हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2024) का पर्व अत्यधिक महत्व है। इस पर्व को भगवान गणेश (Lord Ganesha) के जन्म उत्सव के रुप में मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार बुद्धि के देवता भगवान श्री गणेश का जन्म भाद्रपद माह (Bhadrapad Month) के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था।

ऐसे हुई थी गणेश जी की उत्पत्ति
भगवान श्री गणेश जी का जन्म मां पार्वती के शरीर के उबटन से हुआ। दरअसल उबटन को हटाने के बाद मां पार्वती ने उसे एक मूर्ति का रूप दे दिया और फिर उस मूर्ति में प्राण फूंक दिए। इसके बाद उस मूर्ति से बने गणेश को अपने कक्ष की रखवाली करने का काम सौंपा दिया। जब देवी पार्वती से मिलने भगवान शिव ने कक्ष में प्रवेश करने का प्रयास किया, तो शिव की पहचान से अनजान गणेश ने उनका रास्ता रोक दिया. भगवान शिव ने क्रोधित होकर गणेश का सिर काट दिया, इससे दुःखी माता पार्वती ने शिव जी से पुत्र को जीवित करने की विनती की, जिस पर भगवान शिव जी ने गणेश जी के सिर के स्थान पर हाथी का सिर लगा​कर उन्हें नया जीवन ​दिया।

गणेश उत्सव : 10 दिनों तक मनाया जाता है
मान्यता के अनुसार वेदव्यास जी ने भगवान गणेश से महाभारत ग्रंथ लिखने की प्रार्थना की. भगवान गणेश ने बिना रुके 10 दिनों तक महाभारत लिखी. इस दौरान एक ही स्थान पर लगातार लेखन करने के कारण गणेश जी के शरीर पर धूल और मिट्टी जम गई और 10वें दिन गणेश जी ने सरस्वती नदी में स्नान करके शरीर पर जमी धूल और मिट्टी को साफ किया, तभी से गणेश उत्सव के 10 वें दिन गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है।

एक अन्य मान्यता ये भी है कि इन 10 दिनों में भगवान गणेश अपनी माता पार्वती के साथ पृथ्वी पर यात्रा करते हैं, जहां उनके भक्त उनका स्वागत करते हैं और उन्हें अपने घर में आमंत्रित करते हैं. इस दौरान घरों में और सावर्जनिक स्थानों पर उनकी प्रतिमा की स्थापना की जाती है. दसवें दिन यानि अंनत चतुर्दशी के दिन इस पर्व का समापन होता है, गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है और उन्हें भक्त विदाई देते हैं और अगले साल आने के लिए आशीर्वाद मांगते हैं.

गणेश चतुर्थी 2024 : किस राशि के​ लिए क्या रहेगा खास? :

वृषभ राशि
राशि चक्र की दूसरी राशि यानि व वृषभ के जातकों के लिए ये गणेश चतुर्थी 2024 बहुत ही शुभ फल लाती दिख रही है। एक-एक करके आपके सारे काम बन जाएंगे। व्‍यापारी वर्ग को तगड़ा लाभ होगा। नया काम शुरू करने के लिए सही समय है। धन-दौलत बढ़ेगी।जीवन में खुशियों का संचार होगा।

कर्क राशि
राशि चक्र की चौथी राशि यानि व कर्क के जातकों के लिए ये गणेश उत्‍सव जीवन में भी उत्‍सव की शुरुआत करता दिख रहा है। ऐसे में जल्द ही इन जातकों को अपार धन की प्राप्ति हो सकती है। आपका कामकाज बहुत अच्छा चलेगा। समाज में मान-प्रतिष्ठा बढ़ेगी।

कन्या राशि
राशि चक्र की छठी राशि यानि व कन्या के जातकों के लिए ये गणेश पर्व जीवन में खूब धन-समृद्धि लेकर आएगा। आपकी सारी आर्थिक समस्‍याएं दूर हो जाएंगी। कॅरियर में अब तक जो प्राब्‍लम्‍स थीं, वो दूर होंगी। निवेश के लिए समय अच्‍छा है। एक से ज्‍यादा स्‍त्रोतों से पैसा आएगा।


गणेश चतुर्थी के विशेष उपाय : हर किसी के लिए

गणेश पूजा
गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा करें। उनकी मूर्ति की स्थापना करें और उन्हें मोदक, लड्डू, तथा ताजे फूल अर्पित करें। इस दिन गणेश जी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और सभी समस्याओं का समाधान होता है।

गणेश मंत्र का जाप
गणेश चतुर्थी पर “ॐ गण गणपतये नमः” या “ॐ विघ्नेश्वराय नमः” मंत्र का जाप करें। ये मंत्र भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने में सहायक होते हैं।

गणेश चालीसा का पाठ
गणेश चालीसा का पाठ करना इस दिन बहुत शुभ माना जाता है। यह पाठ करने से सभी प्रकार के कष्ट और विघ्न दूर होते हैं।

मोदक का भोग
भगवान गणेश को घर में बने हुए मोदक का भोग अर्पित करें, क्योंकि मोदक गणपति जी का प्रिय भोग माना जाता है। ऐसा करने से गणेश जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

दान पुण्य
गणेश चतुर्थी के दिन दीन-दुखियों और जरूरतमंदों की सहायता करें। उन्हें भोजन या कपड़े दें। इस दिन दान करने से भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है और पुण्य मिलता है।

गणेश चतुर्थी का पर्व खुशी और समृद्धि का प्रतीक है। माना जाता है कि इस अवसर पर किए गए ज्योतिषीय उपाय और पूजा अर्चना से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है।

श्री गणेश आरती

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।

एकदंत, दयावंत, चार भुजाधारी।
मस्तक सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी।

पान चढ़ें, फूल चढ़ें और चढ़ें मेवा।

लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा।

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।

अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।।

दीनन की लाज राखो, शम्भु-सुत वारी।

कामना को पूरा करो, जग बलिहारी।।

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।

सूर श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ।।

श्री गणेश के समस्त 32 रूप

1. श्री बाल गणपतियह भगवान गणेश का बाल रूप है। यह धरती पर बड़ी मात्रा में उपलब्ध संसाधनों का और भूमि की उर्वरता का प्रतीक है। उनके चारों हाथों में एक-एक फल है- आम, केला, गन्ना और कटहल। गणेश चतुर्थी पर भगवान के इस रूप की पूजा भी की जाती है।

– यह रूप संकट में भी बाल सुलभ सहजता की प्रेरणा देता है। इंसान की आगे बढ़ने की क्षमता दर्शाता है।

2. तरुण गणपतियह गणेशजी का किशोर रूप है। उनका शरीर लाल रंग में चमकता है। इस रूप में उनकी 8 भुजाएं हैं। उनके हाथों में फलों के साथ-साथ मोदक और अस्त्र-शस्त्र भी हैं। यह रूप आंतरिक प्रसन्नता देता है। यह युवावस्था की ऊर्जा का प्रतीक है।

– इस रूप में गणपति अपनी पूरी क्षमता से काम करने और उपलब्धियों के लिए संघर्ष की प्रेरणा देते हैं।

3. भक्त गणपति इस रूप में वे श्वेतवर्ण हैं। उनका रंग पूर्णिमा के चांद की तरह चमकीला है। आमतौर पर फसल के मौसम में किसान उनके इस रूप की पूजा करते हैं। यह रूप भक्तों को सुकून देता है। उनके चार हाथ हैं, जिनमें फूल और फल हैं।

– इस रूप में गणपति इंसान के चार पुरुषार्थ- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतिनिधित्व करते हैं।

4. वीर गणपतियह गणेशजी का योद्धा रूप है। इस रूप में उनके 16 हाथ हैं। उनके हाथों में गदा, चक्र, तलवार, अंकुश सहित कई अस्त्र हैं। इस रूप में गणेश युद्ध कला में पारंगत बनाते हैं। इस रूप की उनकी पूजा साहस पैदा करती है। हार न मानने के लिए प्रेरित करती है। 

– इस रूप में गजानन बुराई और अज्ञानता पर विजय पाने के लिए पूरी क्षमता से लड़ने के लिए प्रेरित करते हैं।

5. शक्ति गणपतिइस रूप में उनके चार हाथ हैं। एक हाथ से वे सभी भक्तों को आशीर्वाद दे रहे हैं। उनके अन्य हाथों में अस्त्र-शस्त्र भी हैं और माला भी। इस रूप में उनकी शक्ति भी साथ हैं। वे सभी भक्तों को शक्तिशाली बनने का आशीर्वाद देते हुए ‘अभय मुद्रा’ में हैं। 

– गणेश जी का यह रूप इस बात प्रतीक है कि इंसान के भीतर शक्ति पुंज है, जिसका उसे इस्तेमाल करना है।

6. द्विज गणपतिइस रूप में उनके दो गुण अहम हैं- ज्ञान और संपत्ति। इन दो को पाने के लिए गणपति के इस रूप को पूजा जाता है। उनके चार मुख हैं। वे चार हाथों वाले हैं। इनमें कमंडल, रुद्राक्ष, छड़ी और ताड़पत्र में शास्त्र लिए हुए हैं।

द्विज इसलिए हैं क्योंकि वे द्वि जन्मा  (यानि उनको दो बार जीवन मिला है) हैं। उनके चार हाथ चार वेदों की शिक्षाओं का प्रतीक हैं।

7. सिद्धि गणपतिइस रूप में गणेशजी पीतवर्ण हैं। उनके चार हाथ हैं। वे बुद्धि और सफलता के प्रतीक हैं। इस रूप में वे आराम की मुद्रा में बैठे हैं। अपनी सूंड में मोदक लिए हैं। मुंबई के प्रसिद्ध सिद्धि विनायक मंदिर में गणेशजी का यही स्वरूप विराजित है।

– भगवान गणेश का यह रूप किसी भी काम को दक्षता से करने की प्रेरणा देता है। यह सिद्धि पाने का प्रतीक है।

8. उच्छिष्ट गणपतिइस रूप में गणेश नीलवर्ण हैं। वे धान्य के देवता हैं। यह रूप मोक्ष भी देता है और ऐश्वर्य भी। एक हाथ में वे एक वाद्य यंत्र लिए विराजित हैं। उनकी शक्ति साथ में पैरों पर विराजित हैं। गणेशजी के इस रूप का एक मंदिर तमिलनाडु में है।

– यह रूप ऐश्वर्य और मोक्ष में संतुलन का प्रतीक है। वे कामना और धर्म में संतुलन के लिए प्रेरित करते हैं।

9. विघ्न गणपतिइस रूप में गणेशजी का रंग स्वर्ण के समान है। उनके आठ हाथ हैं। वे बाधाओं को दूर करने वाले भगवान हैं। इस रूप में वे भगवान विष्णु के समान दिखाई देते हैं। उनके हाथों में शंख और चक्र हैं। वे कई तरह के आभूषण भी पहने हुए हैं।

– यह रूप सकारात्मक पक्ष देखने की प्रेरणा देता है। यह नकारात्मक प्रभाव और विचारों को भी दूर करता है।

10. क्षिप्र गणपतिइस रूप में गणेश जी रक्तवर्ण हैं। उनके चार हाथ हैं। वे आसानी से प्रसन्न होते हैं और भक्तों की इच्छाएं पूरी करते हैं। उनके चार हाथों में से एक में कल्पवृक्ष की शाखा है। अपनी सूंड में वे एक कलश लिए हैं, जिसमें रत्न हैं।

– यह रूप कामनाओं की पूर्ति का प्रतीक है। कल्पवृक्ष इच्छाएं पूरी करता है और कलश समृद्धि देता है।

11. हेरम्ब गणपतिपांच सिरों वाले हेरम्ब गणेश दुर्बलों के रक्षक हैं। यह उनका विलक्षण रूप है। इस रूप में वे शेर पर सवार हैं। उनके दस हाथ हैं, जिनमें वे फरसा, फंदा, मनका, माला, फल, छड़ी और मोदक लिए हुए हैं। उनके सिर पर मुकुट है।

– इस रूप में गणेश कमजोर को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा देते हैं। वे डर पर विजय पाने की प्रेरणा बनते हैं।

12. लक्ष्मी गणपतिइस रूप में गणेशजी बुद्धि और सिद्धि के साथ हैं। उनके आठ हाथ हैं। उनका एक हाथ अभय मुद्रा में है, जो सभी को सिद्धि और बुद्धि दे रहा है। उनके एक हाथ में तोता बैठा है। तमिलनाडु के पलानी में गणेशजी के इस रूप का मंदिर है।

– गणेशजी इस रूप में उपलब्धियां और किसी काम में विशेषज्ञता हासिल करने के लिए प्रेरित करते हैं।

13. महागणपतिरक्तवर्णहैं और भगवान शिव की तरह उनके तीन नेत्र हैं। उनके दस हाथ हैं और उनकी शक्ति उनके साथ विराजित हैं। भगवान गणेश के इस रूप का एक मंदिर द्वारका में है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने यहां गणेश आराधना की थी।

– इस रूप में महागणपति दसों दिशाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे भ्रम से बचाते हैं।

14. विजय गणपतिइस रूप में वे अपने मूषक पर सवार हैं, जिसका आकार सामान्य से बड़ा दिखाया गया है। महाराष्ट्र में पुणे के अष्टविनायक मंदिर में भगवान का यह रूप मौजूद है। मान्यता है कि भगवान के इस रूप की पूजा से तुरंत राहत मिलती है।

– इस रूप में गणपति विजय पाने और संतुलन कायम करने के लिए प्रेरित करते हैं।

15. नृत्त गणपतिइस रूप में गणेशजी कल्पवृक्ष के नीचे नृत्य करते दिखाए गए हैं। वे प्रसन्न मुद्रा में हैं। उनके चार हाथ हैं। एक हाथ में युद्ध का अस्त्र परशु भी है। उनके इस रूप का तमिलनाडु के कोडुमुदी में अरुलमिगु मगुदेश्वरर मंदिर है।

– इस रूप का पूजन ललित कलाओं में सफलता दिलाता है। वे कलाओं में प्रयोग के लिए प्रेरित करते हैं।

16. उर्ध्व गणपतिइस रूप में उनके आठ हाथ हैं। उनकी शक्ति साथ में विराजित हैं, जिन्हें उन्होंने एक हाथ से थाम रखा है। एक हाथ में टूटा हुआ दांत है। बाकी हाथों में कमल पुष्प सहित प्राकृतिक सम्पदाएं हैं। वे तांत्रिक मुद्रा में विराजित हैं।

– इस रूप में गणेशजी की आराधना भक्त को अपनी स्थिति से ऊपर उठने के लिए प्रेरित करती है।

17. एकाक्षर गणपति – इस रूप में गणेशजी के तीन नेत्र हैं और मस्तक पर भगवान शिव के समान चंद्रमा विराजित है। मान्यता है कि इस रूप की पूजा से मन और मस्तिष्क पर नियंत्रण में मदद मिलती है। गणपति के इस रूप का मंदिर कनार्टक के हम्पी में है।

– एकाक्षर गणपति का बीज मंत्र है ‘गं’ है। यह हर तरह के शुभारंभ का प्रतीक है।

18. वर गणपतिगणपति का यह रूप वरदान देने के लिए जाना जाता है। अपनी सूंड में वे रत्न कुंभ थामे हुए हैं। वे सफलता और समृद्धि का वरदान देते हैं। कर्नाटक के बेलगाम में रेणुका येलम्मा मंदिर में भगवान का यह रूप विराजित है।

– इस रूप में उनके साथ विराजित देवी के हाथों में विजय पताका है। वे विजयी होने के वरदान का प्रतीक हैं।

19. त्र्यक्षर गणपति – यह भगवान गणेश का ओम रूप है। इसमें ब्रह्मा, विष्णु, महेश समाहित हैं। यानी वे सृष्टि के निर्माता, पालनहार और संहारक भी हैं। कर्नाटक के नारसीपुरा में गणेश के इस रूप का मंदिर है, जिसे तिरुमाकुदालु मंदिर के नाम से जाना जाता है।

– इस रूप में उनकी आराधना आध्यात्मिक ज्ञान देती है। यह रूप स्वयं को पहचानने के लिए प्रेरित करता है।

20. क्षिप्रप्रसाद गणपतिइस रूप में गणेश इच्छाओं को शीघ्रता से पूरा करते हैं और उतनी ही तेजी से गलतियों की सजा भी देते हैं। वे पवित्र घास से बने सिंहासन पर बैठे हैं। तमिलनाडु के कराईकुडी और मैसूर में भगवान के इस रूप का मंदिर है।

– गणेश जी का यह रूप सभी की शांित और समृद्धि के लिए काम करने की प्रेरणा देता है।

21. हरिद्रा गणपतिइस रूप में गणेशजी हल्दी से बने हैं और राजसिंहासन पर बैठे हैं। इस रूप के पूजन से इच्छाएं पूरी होती हैं। कर्नाटक में श्रंगेरी में रिष्यश्रंग मंदिर में गणेशजी का यह रूप विराजित है। माना जाता है कि हल्दी से बने गणेश रखने से व्यापार में फायदा होता है।

– इस रूप में गणेश प्रकृति और उसमें मौजूद निरोग रहने की शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

22. एकदंत गणपतिइस रूप में गणेशजी का पेट अन्य रूपों के मुकाबले बड़ा है। वे अपने भीतर ब्रह्मांड समाए हुए हैं। वे रास्ते में आने वाली बाधाओं को हटाते हैं और जड़ता को दूर करते हैं। इस रूप का पूजन पूरे देश में व्यापक रूप से होता है।

– इस रूप में गणेश अपनी कमियों पर ध्यान देने और खूबियों को निखारने के लिए प्रेरित करते हैं।

23. सृष्टि गणपतिगणेशजी का यह रूप प्रकृति की तमाम शक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है। उनका यह रूप ब्रह्मा के समान ही है। यहां वे एक बड़े मूषक पर सवार दिखाई देते हैं। तमिलनाडु के कुंभकोणम में अरुलमिगु स्वामीनाथन मंदिर में उनका यह रूप विराजित है।

– यह रूप सही-गलत और अच्छे-बुरे में फर्क करने की प्रेरणा समझ देता है। इस रूप में गणेश निर्माण के प्रेरणा देते हैं।

24. उद्दंड गणपतिइस रूप में गणेश न्याय की स्थापना करते हैं। यह उनका उग्र रूप है, जिसके 12 हाथ हैं। उनकी शक्ति उनके साथ विराजित हैं। इस रूप में गणेश का देश में कहीं और मंदिर नहीं है। चमाराजनगर और नंजनगुड में गणपति के 32 रूपों की प्रतिमा मौजूद है।

– गणेशजी का यह रूप सांसारिक मोह छोड़ने और बंधनों से मुक्त होने के लिए प्रेरित करता है।

25. ऋणमोचन गणपतिगणेशजी का यह रूप अपराधबोध और कर्ज से मुक्ति देता है। यह रूप भक्तों को मोक्ष भी देता है। वे श्वेतवर्ण हैं और उनके चार हाथ हैं। इनमें से एक हाथ में मीठा चावल है। इस रूप का मंदिर तिरुवनंतपुरम में है।

– इस रूप में गणेशजी परिवार, पिता और गुरू के प्रति अपनी जिम्मेदारियां निभाने के लिए प्रेरित करते हैं।

26. ढुण्ढि गणपतिरक्तवर्ण गणेशजी के इस रूप में उनके हाथ में रुद्राक्ष की माला है। रुद्राक्ष उनके पिता शिव का प्रतीक माना जाता है। यानी इस रूप में वे पिता के संस्कारों को लिए विराजित हैं। उनके एक हाथ में लाल रंग का रत्न-पात्र भी है।

– गणेशजी का यह रूप आध्यात्मिक विचारों के लिए प्रेरित करता है। जीवन को स्वच्छ बनाता है।

27. द्विमुख गणपतिगणेशजी के इस स्वरूप में उनके दो मुख हैं, जो सभी दिशाओं में देखने की क्षमता का प्रतिनिधित्व करते हैं। दोनों मुखों में वे सूंड ऊपर उठाए हैं। इस रूप में उनके शरीर के रंग में नीले और हरे का मिश्रण है। उनके चार हाथ हैं।

– यह रूप दुनिया और व्यक्ति के आंतरिक और बाहरी, दोनों रूपों को देखने के लिए प्रेरित करता है।

28. त्रिमुख गणपति इस रूप में गणेशजी के तीन मुख और छह हाथ हैं। दाएं और बाएं तरफ के मुख की सूंड ऊपर उठी हुई है। वे स्वर्ण कमल पर विराजित हैं। उनका एक हाथ रक्षा की मुद्रा और दूसरा वरदान की मुद्रा में है। इस रूप में उनके एक हाथ में अमृत-कुंभ है।

– गणेश जी का यह रूप भूत, वर्तमान और भविष्य को ध्यान में रखकर कर्म करने के लिए प्रेरित करता है।

29. सिंह गणपतिइस रूप में गणेशजी शेर के रूप में विराजमान हैं। उनका मुख भी शेरों के समान है, साथ ही उनकी सूंड भी है। उनके आठ हाथ हैं। इनमें से एक हाथ वरद मुद्रा में है, तो दूसरा अभय मुद्रा में है।

– गणेश जी का यह रूप निडरता और आत्मविश्वास का प्रतीक है, जो शक्ति और समृद्धि देता है।

30. योग गणपतिइस रूप में भगवान गणेश एक योगी की तरह दिखाई देते हैं। वे मंत्र जाप कर रहे हैं। उनके पैर योगिक मुद्रा में है। मान्यता है कि इस रूप की पूजा अच्छा स्वास्थ्य देती है और मन को प्रसन्न बनाती है। उनके इस रूप का रंग सुबह के सूर्य के समान है।

– भगवान गणेश का रूप अपने भीतर छिपी शक्तियों को पहचानने के लिए प्रेरित करता है।

31. दुर्गा गणपतिभगवान गणेश का यह रूप अजेय है। वे शक्तिशाली हैं और हमेशा अंधकार पर विजय प्राप्त करते हैं। यहां वे अदृश्य देवी दुर्गा के रूप में हंै। इस रूप में वे लाल वस्त्र धारण करते हैं। यह रंग ऊर्जा का प्रतीक है। उनके हाथ में धनुष है।

– भगवान गणेश का यह रूप विजय मार्ग में आने वाली बाधाओं को हटाने के लिए प्रेरित करता है।

32.संकष्टहरण गणपति इस रूप में गणेश डर और दुख को दूर करते हैं। मान्यता है कि इनकी आराधना संकट के समय बल देती है। उनके साथ उनकी शक्ति भी मौजूद है। शक्ति के हाथ में भी कमल पुष्प है। गणेशजी का एक हाथ वरद मुद्रा में है।

– यह रूप इस बात का प्रतीक है कि हर काम में संकट आएंगे, लेकिन उन्हें हटाने की शक्ति इंसान में है।

 

 

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *