सस्ते आयात से बचाने के लिए चीन के 5 प्रोडक्ट्स पर भारत ने लगाया डंपिंग रोधी शुल्क

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नई दिल्ली। भारत (India) ने घरेलू कंपनियों (Domestic companies) को चीन (China) से आने वाले सस्ते आयात से बचाने के लिए चीन के पांच उत्पादों (Five products from China) पर डंपिंग-रोधी शुल्क (Anti-dumping duty) लगाया है। यह शुल्क पांच साल के लिए लगाया गया है। वाणिज्य मंत्रालय की जांच इकाई डीजीटीआर की सिफारिश के बाद यह फैसला लिया गया। जांच इकाई ने पाया कि इन उत्पादों को सामान्य से कम कीमतों पर चीन से आयात कर भारत में डंप किया जा रहा है।

इन उत्पादों में सॉफ्ट फेराइट कोर, वैक्यूम इंसुलेटेड फ्लास्क, एल्युमीनियम फॉयल, ट्राइक्लोरो आइसोसायन्यूरिक एसिड और पॉली विनाइल क्लोराइड शामिल हैं। एल्युमीनियम फॉयल पर छह माह के लिए अस्थायी रूप से 873 डॉलर प्रति टन का डंपिंग रोधी शुल्क जबकि शेष उत्पादों पर यह 276 डॉलर से लेकर 1732 डॉलर प्रति टन तक है।

घरेलू उद्योगों को बचाने की तैयारी
टैरिफ विवाद के बीच भारत घरेलू उद्योग से जुड़ी चुनौतियों और चिंताओं को दूर करने की दिशा में कदम उठा रहा है। स्टील पर 12 फीसदी सेफगार्ड ड्यूटी (सुरक्षा शुल्क) लगाए जाने के बाद अब भारत ने चीन से आयात होने वाले पांच उत्पादों पर डंपिंग रोधी शुल्क लगाने का फैसला लिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस फैसले से घरेलू उद्योगों को बचाने में मदद मिलेगी।

दरअसल, अमेरिका द्वारा लगाए जा रहे टैरिफ के बाद आंशका जताई जा रही थी कि चीन समेत बाकी देश सस्ती दरों पर भारत में अपने उत्पादों की सप्लाई करेंगे, जिससे घरेलू उद्योग प्रभावित होंगे। ऐसे में सरकार ने पहले स्टील के आयात पर 12 प्रतिशत का सुरक्षा शुल्क लगाने का फैसला लिया। अब डीजीटीआर की सिफारिश पर पांच अन्य चीनी उत्पादों पर पांच साल तक डंपिंग रोधी शुल्क लगाने का फैसला लिया गया है।

क्या है चीन की नीति
बीते कुछ वर्षों से देखा गया है कि चीन विश्व व्यापार संगठन की शर्तों के खिलाफ जाकर व्यापार करता है। वहां की कंपनियां कुछ विशेष क्षेत्रों के उत्पादों को लागत से कम दरों पर दूसरे देशों को निर्यात करती है। इससे संबंधित देश में घरेलू उद्योगों को भारी नुकसान होता है। चीन की नीति है कि पहले सस्ती दर पर सामान भेजो। जब वहां घरेलू उद्योग बंद हो जाए तो वस्तुओं की कीमतें बढ़ा दो। फॉर्मा क्षेत्र से जुड़े कुछ उत्पादों को लेकर चीन ने यही किया था।

क्यों जरूरी है यह फैसला
सीआईआई एमएसएमई राष्ट्रीय परिषद के सह-अध्यक्ष अशोक सहगल का कहना है कि भारत सरकार के इस फैसले से देश के छोटे-मझोले (एमएसएमई) उद्योगों को सबसे ज्यादा लाभ होगा। भारत में इन उत्पादों का 80 से 90 फीसदी हिस्सा इन उद्योगों में तैयार होता है। डंपिंग रोधी शुल्क लगने से यहां तैयार उत्पादों के दाम नहीं गिरेंगे। चीनी उत्पाद को बढ़ावा कम होगा।

क्या होता है डंपिंग रोधी शुल्क
जब कोई देश अपने उत्पाद को कम कीमत पर दूसरे देश को निर्यात करता है, तो उसे डंपिंग करना कहा जाता है। जिस देश में डंपिंग (निर्यात) किया जा रहा है, वहां बनने वाले उत्पाद पर इसका असर पड़ता है। इससे घरेलू बाजार में दूसरे देश से आने वाले उत्पाद की कीमत कम हो जाती है और इसका असर घरेलू ब्रांड की बिक्री पर पड़ता है।

डंपिंग का असर
– सस्ते विदेशी उत्पाद के मुकाबले घरेलू कंपनियां अपना उत्पाद उस कीमत पर नहीं बेच पाती।
– ऐसी स्थिति में घरेलू कंपनियों को भारी नुकसान होता है।
– घरेलू उद्योग बंद भी होने लगते हैं, नौकरियों पर भी संकट खड़ा हो जाता है
– ऐसी स्थिति से बचने के लिए सरकार घरेलू व्यवसायों के हितों और देश की अर्थव्यवस्था का ध्यान रखते हुए एंटी डंपिंग शुल्क लगाती है।

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