Delhi Election: जीत! के बाद भी क्या CM नहीं बन पाएंगे केजरीवाल?

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  • कांग्रेस-भाजपा जनता को जमानत की शर्तें समझाने में जुटी

Delhi Assembly Election: दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों दल जनता के बीच यह मैसेज देने में जुटे हैं कि अरविंद केजरीवाल अब आगे मुख्यमंत्री नहीं बन सकते। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से जमानत शर्तों का हवाला दिया जा रहे। पहले कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने यह दावा किया और अब गुरुवार को बीजेपी नेता प्रवेश वर्मा ने भी यही बात दोहराई। खास बात है कि ये दोनों नेता नई दिल्ली सीट से केजरीवाल के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं।

ज्ञात हो कि,  शराब घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल जमानत पर हैं। जमानत से पहले सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तें लगाईं थीं। इन शर्तों का हवाला देते हुए भाजपा और कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि अरविंद केजरीवाल न तो मुख्यमंत्री कार्यालय जा सकते हैं… न फाइल साइन कर सकते। यहां तक कि अधिकारियों की मीटिंग नहीं ले सकते। ऐसे में अगर आप जीतती भी है तो केजरीवाल सीएम नहीं बन पाएंगे।

केजरीवाल फैक्टर कमजोर करने की कोशिश

दिल्ली में आम आदमी पार्टी को सत्ता सिर्फ अरविंद केजरीवाल के करिश्मे पर ही मिलती रही है। ऐसे में एक रणनीति के तहत भाजपा और कांग्रेस ने जनता के बीच जमानत शर्तों की बात प्रचारित कर यह संदेश देने की कोशिश की है कि ‘ आप’ की जीत पर भी केजरीवाल मुख्यमंत्री नहीं बनने वाले। पार्टियों को लगता है कि जो वर्ग सिर्फ केजरीवाल को अपना मुख्यमंत्री मानकर वोट करता है, वो कुछ असमंजस का शिकार हो सकता है।

ये है दावे का सच

यह सच है कि सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत देते समय कुछ शर्तें लगाईं हैं, लेकिन वे मुख्यमंत्री नहीं बन सकते, सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी कोई रोक नहीं लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को लेकर कहा था कि वे मुख्यमंत्री पद छोड़ें या न छोड़ें, इस बारे में हम कोई आदेश नहीं दे सकते। क्योंकि हमें संदेह है कि क्या अदालत किसी निर्वाचित नेता को पद छोड़ने या सीएम या मंत्री के रूप में काम नहीं करने का आदेश दे सकती है या नहीं? हम अरविंद केजरीवाल पर छोड़ते हैं कि वे इस पर आखिरी निर्णय क्या लेते हैं। हालांकि जमानत पर बाहर आने के बाद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया था और फिर आतिशी को कुर्सी सौंपी थी।

लेकिन, यहां ये भी जान लें कि जो बताया जा रहा है उसके अनुसार शर्तें कुछ ऐसी हैं जिनमें सीएम बन पाना टेढी खीर साबित हो सकता है, या यदि कोई बन भी जाए तो वह केवल नाम का ही सीएम रह सकता है।
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