Mahakumbh 2025: पहला ‘अमृत स्नान’ आज
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मकर संक्रांति पर जुटेंगे लाखों लोग
Mahakumbh Mela 2025: पवित्र संगम में 1.5 करोड़ से ज़्यादा लोगों के डुबकी लगाने के एक दिन बाद, उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के अवसर पर मंगलवार, 14 जनवरी को महाकुंभ मेला 2025 के पहले ‘अमृत स्नान’ (Amrit Snan) में रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुओं के भाग लेने की उम्मीद है। संगम पर पवित्र स्नान के लिए सुबह-सुबह साधु-संत और नागा साधु पहुंच गए। मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर महाकुंभ 2025 का पहला अमृत स्नान तब शुरू हुआ जब महानिर्वाणी पंचायती अखाड़े के साधुओं ने त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाई।
खास क्यों? पहला अमृत स्नान
त्रिवेणी संगम पर 13 अखाड़ों के साधु लगाएंगे डुबकी
महाकुंभ 2025 को जानिए
महाकुंभ दुनिया के सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक समागमों में से एक है, जो हर 12 साल में भारत के चार स्थानों में से एक पर आयोजित किया जाता है। महाकुंभ उन चार स्थानों में से एक है जो अखाड़ों के साथ-साथ चलते हैं। विश्व का सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक समागम, जो हर 12 वर्ष में भारत के चार स्थानों में से एक पर आयोजित किया जाता है।महाकुंभ-2025, जो कि पूर्ण कुंभ है, 26 फरवरी, 2025 तक चलेगा। प्रमुख ‘स्नान’ तिथियों में 14 जनवरी (मकर संक्रांति – पहला शाही स्नान), 29 जनवरी (मौनी अमावस्या – दूसरा शाही स्नान), 3 फरवरी ( बसंत पंचमी – तीसरा शाही स्नान), 12 फरवरी (माघी पूर्णिमा), और 26 फरवरी (महा शिवरात्रि) शामिल हैं।
मकर संक्रांति का सूर्य से संबंध
हिन्दू सूर्य कलैंडर के अनुसार सूर्य का किसी भी राशि में परिवर्तन संक्रान्ति कहलाता है। ऐसे में सूर्य का मकर राशि में प्रवेश ही मकर संक्रांति कहलता है। इसे सूर्य उत्तरायण पर्व के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल इसी दिन से सूर्य उत्तरायण होते हैं। ज्ञात हो कि, सूर्य की दो स्थितियां उत्तरायण और दक्षिणायण होती है। शास्त्रों में उत्तरायण को बेहद शुभ माना गया है।
Uttarakhand: ठंड पर भारी आस्था…उत्तरकाशी से हरिद्वार तक स्नान को उमड़े श्रद्धालु
मकर संक्रांति के पावन पर्व स्नान को लेकर उत्तराखंड में भी श्रद्धालुओं में उत्साह बना हुआ है। उत्तरकाशी से लेकर हरिद्वार तक स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही। काशी नगरी में स्नान कर पुण्य अर्जित करने के लिए तड़के से ही गंगा यमुना के संगम तट गंगनानी कुंड में श्रद्धालु उमड़े। ढोल-नगाड़ों की आवाज और मां गंगा के जयकारों से पूरी काशी नगरी गुंजायमान हो रही। वहीं, हरिद्वार में भी तड़के से हरिद्वार ब्रह्मकुंड में स्नान करने को लेकर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। वहीं, देव डोलियों ने भी स्नान किया।
कड़ाके की ठंड पर आस्था भारी पड़ी और हजारों श्रद्धालुओं ने गंगा भागीरथी में डुबकी लगाकर पुण्य का लाभ कमाया। रवांई क्षेत्र पौराणिक एवं धार्मिक स्थल गंगा यमुना के संगम तट गंगनानी कुंड में तड़के से ही आसपास के गांवों सहित क्षेत्र के दूर दराज इलाकों से भी श्रद्धालु पहुंचे।
मकर सक्रांति स्नान पर्व को सकुशल संपन्न कराने के लिए हरिद्वार में मेला क्षेत्र को आठ जोन और 21 सेक्टरों में विभाजित किया गया है। पूरा मेला क्षेत्र सीसीटीवी कैमरों से की निगरानी में है।
क्या होता है उत्तरायण
आप समस्त प्रदेशवासियों को मकर संक्रांति, घुघुती त्यार व उत्तरायणी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। भगवान सूर्य की उपासना को समर्पित यह पर्व आप सभी के जीवन में सुख-समृद्धि, आरोग्य एवं मंगल लेकर आए। pic.twitter.com/dxe3nDo4Gd
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) January 14, 2025
सूर्य की दो स्थितियां उत्तरायण और दक्षिणायण हैं। दोनों की अवधि छह-छह महीने की होती है। सूर्यदेव छह माह उत्तरायण (मकर से मिथुन राशि तक) और छह माह दक्षिणायन (कर्क से धनु राशि तक) रहते हैं। जब सूर्य उत्तर दिशा की ओर गमन करते हुए मकर राशि से मिथुन राशि तक भ्रमण करते हैं, तो इसे ही उत्तरायण कहा जाता है। वहीं जब सूर्य दक्षिण दिशा में गमन करते हैं यानि कर्क राशि से धनु राशि तक भ्रमण करते हैं, तो इसे दक्षिणायन कहा जाता है।
उत्तरायण को प्रकाश का समय कहा गया है और इसलिए शास्त्रों में इसे शुभ माना गया है। सूर्य के उत्तरायण होने से दिन बड़ा और रात छोटी होने लगती है। इस दौरान दान-पुण्य, यज्ञ और शुभ-मांगलिक कार्य करना शुभ माना गया है।