क्यों अब से नैनीताल में नहीं होगी बर्फबारी!
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नैनीताल में अब नहीं होगी बर्फबारी!
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एरीज की रिसर्च में खुलासा, 2000 मीटर से नीचे नहीं बन रही स्नोफॉल की स्थिति
सर्दी के मौसम में भी इस बार सरोवरनगरी में कड़ाके की ठंड का अहसास नहीं हो रहा है स्थानीय लोग भी मौसम के इस बदलाव से हतप्रभ है। नैनीताल में पिछले वर्षों की अपेक्षा जनवरी में दिन और रात सर्द होने के बजाय गर्म हैं। वैज्ञानिकों का शोध तो
यह कहता है कि भविष्य में कम ऊंचाई वाले नैनीताल जैसे ठंडे इलाकों में बर्फबारी नहीं होगी।
यह बात सच भी लगती है, क्योंकि कुछ दशक पहले इन दिनों यहां बर्फ की चादर दिखती थी, लेकिन इस साल पाला तक नहीं पड़ा है।
इस संबंध में आर्य भट्ट शोध एवं प्रेक्षण विज्ञान संस्थान (एरीज) से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि, फॉरेस्ट फायर और जंगलों में झाड़ियों के कटान से नमी बनाए रखने वाली घास और वनस्पति नष्ट होती जा रही हैं। इससे पाला तक पड़ना कम हुआ है। वहीं बढ़ते कार्बन उत्सर्जन की वजह से पर्यावरण भी तेजी से बदल रहा है। अब भी हम नहीं चेते तो स्थितियां और भी खराब हो सकती हैं।
ऐसे समझें: कब होती है बर्फबारी
बर्फबारी तभी संभव होगी जब कम से कम 48 घंटे तक भूमि का तापमान चार डिग्री तक गिरा रहे। साथ ही आकाश में बादल हों और एक मजबूत पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो। वैज्ञानिकों का मानना है कि बहुत असामान्य स्थितियों में ही समुद्र तल से 2000
मीटर के इलाके में कभी-कभार बर्फबारी देखने को मिल सकेगी।
बड़ी वजह: अत्याधिक कार्बन उत्सर्जन
आर्य भट्ट शोध एवं प्रेक्षण विज्ञान संस्थान( एगीज) के वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र सिंह का कहना है कि, वर्ष 2024-25 में मौसम के परिवर्तन पर कई शोध हुए हैं। इससे यह तथ्य सामने आया है कि बर्फबारी अब 2000 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ही हो रही हैं। वह भी सामान्य से ज्यादा। निचले इलाकों में अब भविष्य में बर्फबारी नजर आना दुष्कर होगा। इसकी बड़ी वजह जंगलों की कटाई, फॉरेस्ट फायर, जंगलों में झाड़ियों का कटान और अत्यधिक कार्बन उत्सर्जन है।