खतरा अभी टला नहीं, सीमाओं को करना है और सुरक्षित : जयशंकर
- कहा-हमारी विदेश नीति पुरानी और नई चुनौतियों का मिश्रण
नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारतीय विदेश नीति को समझने पर जोर देते हुए कहा कि सूक्ष्म विदेश नीति के बारे में समझ विकसित करने और बहस की काफी जरूरत है। हमारी वर्तमान विदेश नीति पुरानी और नई चुनौतियों का मिश्रण है। ऐतिहासिक रूप से हम जिन खतरों का सामना करते आए हैं, उनमें से कई अब भी खत्म नहीं हुए हैं। हम आतंकवाद का मुकाबला कर रहे हैं और हमें अपनी सीमाओं को सुरक्षित करना है।
रविवार को इंडिया वर्ल्ड मैगजीन के लॉन्च कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा कि जब हम विदेश नीति में बदलाव की बात करते हैं। अगर नेहरू के बाद के निर्माण की बात होती है,तो इसे राजनीतिक हमला नहीं माना जाना चाहिए। हम एक ऐसी विदेश नीति की ओर बढ़ चुके हैं, जिसका सीधा काम राष्ट्रीय विकास को आगे बढ़ाना है। हमें अपनी विदेश नीति को बड़ी सोच, दीर्घकालिक दृष्टि और समझदारी के साथ
आगे बढ़ाना होगा।
मोल्दोबा में भी जल्द होगा भारतीय दूतावास : जयशंकर ने नई दिल्ली में मोल्दोवा गणराज्य के दूतावास का आधिकारिक उद्घाटन भी किया। इस दौरान मोल्दोवा के उप प्रधानमंत्री मिहाई पोषोई मौजूद रहे । जयशंकर मे कहा, हम मानते हैं कि दूतावास की स्थापना से हमारे संबंधों का नया अध्याय शुरू होगा। हम एक ऐसी दुनिया बनाएंगे जहां साझा मूल्य और विचार हों। इस दूताबास को मित्रता का प्रतीक बनाया जाएगा। मैं उम्मीद करता हूं कि निकट भविष्य में मोल्दोबा में भी एक भारतीय दूतावास होगा।
पिछले 10 वर्षो में आर्थिक कूटनीति पर दिया गया जोर
जयशंकर ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में आर्थिक कूटनीति पर बहुत अधिक जोर दिया गया हैं। जब प्रधानमंत्री या विदेश मंत्री विदेश जाते हैं, ता तकनीक,पूंजी, सर्वोत्तम प्रथाओं, सहयोग और निवेश के बारे में बहुत काम होता है। हमने दक्षिण पूर्व एशिवा और पूर्वी एशिया के अन्य देशों से सबक लिए हैं। इस दौरान उन्होंने सी राजामोहन की ओर से उल्लिखित भारतीय विदेश नीति के चार तत्वों पर चर्चा की। इनमें पश्चिम के साथ काम करने का महत्व, रणनीतिक स्वायत्तता की आवश्यकता, बहुधुवीयता का विस्तार करने की जरूरत और वैश्विक दक्षिण समेत गैर-पश्चिमी दुनिया का महत्व शामिल हैं।
डिजीटल युग के लिए अपनी विदेश नीति की आवश्यकता
विदेश मंत्री ने कहा कि डिजिटल युग के लिए अपनी खुद की विदेश नीति की आवश्यकता है, क्योंकि डिजिटल युग विनिर्माण युग से मौलिक रूप से अलग है। विनिर्माण में जिस तरह की हेजिंग को जा सकती है,डिजिटल उत्पादों में वैसा संभव नहीं है। आज हमें अपनो अर्थव्यवस्था में
वैश्विक भागीदारी का निर्माण करना होगा। यह सवाल नहीं है कि कौन प्रतिस्पर्धी है, यह भी एक मुद्दा है कि आप किसके उत्पादों और सेवाओं पर भरोसा करते हैं। आप अपना डाटा कहां रखना चाहेंगे? अन्य लोग आपके डाटा का आपके खिलाफ
उपयोग कहां कर सकते हैं? ये सभी चिंताएं महत्वपूर्ण हैं।