UPRNN ने घटिया निर्माण का भुगतान नहीं लौटाया तो होगा मुकदमा

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  • मुख्य सचिव नाराज : यूपीआरएनएन को तत्काल नोटिस जारी करने के दिए निर्देश


उत्तराखंड सरकार के छह आईटीआई भवनों के निर्माण को गुणवत्ता घटिया मिलने और आधे-अधूरे काम से नाराज मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने उत्तरप्रदेश राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) को भुगतान वापसी के लिए तत्काल नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं। नोटिस पर अमल न करने को सूरत में उन्होंने निगम के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को कहा है।

सीएस सचिवालय में व्यय वित्त समिति (ईएफसी ) की बैठक की अध्यक्षता कर रही
थीं। उन्होंने उत्तराखंड पेयजल निगम को आईटीआई सुरक्षा निर्माण सहित सभी निर्माण कार्यों में दीर्ध अवधि के विजन तथा समग्र दृष्टिकोण के साथ कार्य करने की कड़ी हिदायत दी। उन्होंने आईटीआई भवनों के सुरक्षा निर्माण कार्यों के साथ ही ड्रेनेन सिस्टम और बाउंड़ी बॉल का भी कार्य करने के निर्देश दिए।

उन्होंने आईटीआई नारसन (हरिद्वार) में सुरक्षा निर्माण कार्यों के संबंध 187.30 लाख रुपये के प्रोजेक्ट लागत पर अनुमोदन दिया। कार्यदायी एजेंसी पेयजल निगम को हिदायत दी कि निर्माण कार्यों में गुणवत्ता एवं समयबद्धता का विशेष ध्यान रखा जाए। छात्र-छात्राओं की सुरक्षा के दृष्टिगत उन्होंने इस प्रोजेक्ट का 10 दिन के भीतर सिंचाई विभाग से तकनीकी परीक्षण कराने के बाद निर्माण कार्य शुरू करने को कहा है। उन्होंने अगले मानसून से पहले निर्माण कार्यों को पूरा करने और आईटीआई कैंपस की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। बैठक में अपर सचिव सी रविशंकर सहित पेयजल निगम एवं संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।

15 दिन में भुगतान नहीं लौटाया तो कार्रवाई
अपर सचिव सी रविशंकर मे बताया कि यूपीआरएनएन को छह आईटीआई भवर्नों के खराब और आधे-अधूरे निर्माण के संबंध में 15 दिन का नोटिस दिया जाएगा। इन भवनों में जो कार्य हो चुका है, उसे छोड़कर बाकी अधूरे और खराब गुणवत्ता बाले कार्य की धनराशि निगम को निर्धारित अवधि 15 दिन में लौटानी होगी। ऐसा न होने पर निगम के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। आईटीआई निदेशक को आईटीआई भवनों के निर्माण कार्यों का आकलन करने के निर्देश दिए गए हैं।

त्रिवेंद्र सरकार में भी हुआ था यूपीआरएनएन पर एक्शन
त्रिवेंद्र सरकार में भी यूपीआरएनएन को दिए गए सैकड़ों करोड़ रुपये के कार्यों को गुणवत्ता के खिलाफ कार्रवाई हुई थी। तत्कालीन सरकार में निगम के कार्यो की जांच के लिए विशेष ऑडिट कराया गया था। निगम को काली सूची डालने के साथ हो भविष्य में राज्य सरकार की कार्यदायी संस्थाओं को ही कार्य दिए जाने का निर्णय हुआ था।

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