Assembly Election Result 2024: आत्मविश्वास भाजपा-मोदी का लौटेगा, एकजुटता अब इंडिया-कांग्रेस में बड़ी चुनौती

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Assembly Election Result 2024:  उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे बड़े राज्य महाराष्ट्र में एनडीए की प्रचंड जीत और इंडिया ब्लॉक की करारी पराजय  राजनीतिक दृष्टि सेआने वाले समय में देश के राजनीतिक परिदृश्य पर खासा असर डाल सकती है। अगले साल फरवरी में दिल्ली और वर्षांत तक बिहार विधानसभा के महत्वपूर्ण चुनाव होंगे। झारखंड में हालांकि भाजपा की पराजय हुई है लेकिन हरियाणा में जीत की तिकड़ी और अब महाराष्ट्र में महाविजय से भाजपा का लोकसभा चुनाव से पहले वाला आत्मविश्वास लौटेगा। लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत नहीं मिलने से कहीं न कहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी की अजेय छवि को थोड़ी ठेस जरूर लगी थी लेकिन लगातार दो बड़ी विजय से उनका पुराना जलवा कायम होगा। उधर, इंडिया गठबंधन के लिए एकजुटता और कांग्रेस के लिए आगे की राजनीति में पुन: पकड़ बनाना बड़ी चुनौती होगी।

मोदी सरकार को मिलेगी मजबूती

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र में प्रचंड बहुमत से जीत दर्ज दरअसल केंद्र में मोदी सरकार को पुरानी मजबूती मिलेगी। लोकसभा चुनाव में बहुमत से चूकी भाजपा के जख्मों को ये नतीजे मरहम लगाने वाले हैं। इसी के साथ भाजपा इस धारणा को भी तोड़ने में सफल रही, जिसमें लोकसभा चुनाव नतीजों के आधार पर राजनीतिक पंडित पार्टी के प्रदर्शन को आगे और कमजोर होने की भविष्यवाणी कर रहे थे। महाराष्ट्र के नतीजों को भाजपा की ओर से मोदी सरकार की नीतियों पर जनता के मुहर के तौर पर पेश किया जा रहा है।

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र जैसे महत्वपूर्ण राज्य की जीत ने भाजपा को पुराने जोश से भर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी जिस तरह से तीसरे कार्यकाल में कड़े और बड़े फैसलों की बातें कह चुके हैं, उससे ये नतीजे उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे। नतीजों ने जनता में मोदी की लोकप्रियता बरकरार रहने के भी संदेश दिए हैं।
मजबूर होंगे सहयोगी, दिल्ली चुनाव में फायदा

राज्यों में लगातार भाजपा की जीत से केंद्र में दोनों मुख्य सहयोगी नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू लगातार मजबूती से साथ देने को मजबूर होंगे। कई बार चुनवी प्रदर्शन कमजोर होने पर सहयोगी दल दबाव की राजनीति पर उतर जाते हैं, लेकिन हरियाणा के बाद महाराष्ट्र् जीतकर भाजपा ने अपनी मजबूती का संदेश दिया है। ऐसे में सहयोगी काबू में रहेंगे। साथ ही फरवरी में होने वाले दिल्ली विधानसभा के चुनाव में भाजपा को मनोवैज्ञानिक लाभ मिलेगा।

कांग्रेस: नेता ही सर्वेसर्वा, पंगु हुआ संगठन, आगे का रास्ता मुश्किल

दूसरी ओर देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में थोड़ा अच्छा प्रदर्शन किया तो लगा कि अब शायद पार्टी सियासी पटरी पर दौड़ेगी। जबकि इसके कुछ महीनों बाद हुए हरियाणा, जम्मू कश्मीर और अब महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों के साथ राजस्थान के उपचुनाव में कांग्रेस के बेहद खराब प्रदर्शन ने पार्टी को फिर बेपटरी कर दिया है। इसके लिए काफी हद तक पार्टी नेताओं का खुद को सर्वेसर्वा समझ कर संगठन को दोयम दर्जे पर लाना या पंगु बनाना जिम्मेदार माना जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस के लिए आगे की राह आसान नहीं है। हरियाणा में विफलता के बाद महाराष्ट्र में कांग्रेस का अब तक का सबसे कमजोर प्रदर्शन इंडिया ब्लॉक में भी उसकी स्वीकार्यता और नेतृत्व की स्थिति को कमजोर करेगा। इंडिया ब्लॉक के लिए आने वाले दिनों में महाराष्ट्र के शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद) के सांसदों को एनडीए में जाने से रोकना भी आसान नहीं होगा।

दिल्ली-बिहार आसान नहीं

कुछ महीनों में दिल्ली विधानसभा चुनाव होने हैं, जहां पिछले दो चुनावों से कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला है। पार्टी वहां अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है लेकिन उसका प्रदर्शन सुधारने के लिए ग्राउंड पर जीवंत संगठन और सक्रियता से पार्टी दूर है। इसी तरह बिहार में इसी साल होने वाले चुनाव में कांग्रेस आरजेडी के जूनियर पार्टनर के रूप में उसका बार्गेनिंग पावर कमजोर होगा।

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