Chaitra Amavasya 2025: बहुत कुछ 29 मार्च से बदलने जा रहा है, इस दिन बनने वाले इतने सारे योग को सुनकर आप भी रह जाएंगे सन्न

  • NavSamvatsar 2082 : चैत्र अमावस्या से इन राशियों की बढ़ेंगी परेशानियां, तो इनकी बदलेगी किस्मत

  • जानें ये खास उपाय

Kaal Yukt Samvatsar 2082: चैत्र महीने की अमावस्या 28 मार्च की शाम से शुरू होकर 29 मार्च की शाम तक रहेगी। वहीं इसके बाद शनि ग्रह शनि 29 मार्च, 2025 शनिवार, रात्रि 11.01 बजे कुंभ राशि से मीन राशि में प्रवेश करेंगे। वहां शनि 3 जून, 2027 को सुबह 06.05 तक रहेंगे। शनि के राशि परिवर्तन से सभी राशियां प्रभावित होंगी, जिनमें से कई पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा। वहीं जो लोग पितृदोष से परेशान रहते हैं, वे इस अमावस्या पर विधि-विधान से पिंडदान, तर्पण, दान आदि करवा कर पितृदोष से मुक्ति पा सकते हैं।

चैत्र मास की अमावस्या का विशेष महत्व है। वहीं ऐसे में इस बार यह अमावस्या शनिवार को होने के चलते शनि अमावस्या कहलाएगी। ज्योतिष के अनुसार शनि न्याय के देवता हैं, ऐसे में वे हर जातक को उसके कर्मों पर आधारित फल प्रदान करते हैं। जानकारों के अनुसार जिनकी कुंडली में शनि अच्छी स्थिति में नहीं हैं, उन जातकों को शनि अमावस्या पर विधि विधान से शनि की पूजा करानी चाहिए। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार 28 मार्च की शाम 7:54:48 बजे से शनि अमावस्या शुरू हो रही है जो 29 की शाम 4:26:46 बजे तक रहेगी।

मार्च 2025 का आखिरी दिन : इस बार क्यों है खास

ज्योतिष के जानकार पंडित सुनील शर्मा, पं एके शुक्ला व पं. एसके उपाध्याय के अनुसार 29 मार्च 2025 को सूर्य ग्रहण है साल में चार होते हैं दो सूर्य ग्रहण तो चंद्र ग्रहण इसमें कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन 29 तारीख को इस सूर्य ग्रहण का व्यापक असर होने वाला है क्योंकि सूर्य ग्रहण इस साल के अंतिम दिन पड़ रहा है यानी जो हमारा विक्रम संवत होता है उसका आखिरी दिन है 29 मार्च 2025 और उसे दिन एक ग्रहण है यानी के नए साल की शुरुआत ग्रहण के ठीक बाद में हो रही है अमावस्या तिथि भी होगी अमावस्या तिथि उसके बाद में शुक्ल पक्ष आरंभ होता है यानी नई चेतना नई ऊर्जा का आरंभ उसके अतिरिक्त नया विक्रम संवत्सर हमारा आरंभ हो रहा है 2082 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नवरात्रा स्थापना और इस दिन से जो संवत्सर शुरु हो रहा है, अधिकांश जानकारों का कहना है कि यह उसका नाम है काल युक्त संवत्सर। वहीं कई जानकार इसे सिद्धार्थ संवत्सर बता रहे हैं।

यहां ये भी जान लें कि काल समय को भी कहते हैं और काल मृत्यु को भी कहते हैं। 2082 विक्रम संवत्सर जिसका नाम ही काल युक्त संवत्सर है और चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नवरात्र की स्थापना भी है। साथ ही इस एक दिन में कई सारे योग बन रहे हैं,जिनमें शनि का राशि परिवर्तन है और 6 ग्रहों की युति बन रही है। वहीं 30 मार्च 2025 का दिन जो इतने सारे योग को बनाकर के हमारे सामने लेकर आ रहा है कि अलग-अलग तरह के स्थिति सामने आती दिख रही है। ऐसे में जो संकट हमारे सामने है जो परिवर्तन हमारे सामने हैं उनका मुकाबला हमें खास समझदारी से करना होगा। ज्योतिष के अनुसार राशिचक्र की पहले राशि मेष राशि होती है और अंतिम राशि मीन राशि होती है मीन राशि के अंदर यह सब कुछ अच्छे ग्रहों की युति का बना और इतने बड़े परिवर्तन का संकेत देना और अगली राशि मेष राशि यानी आरंभ की राशि है, वहीं अंतिम राशि में इतने योग किसी विशिष्ठ स्थिति को दर्शा रहे हैं।

ऐसे में ज्योतिष के ​जानकारों का मानना है कि 6 ग्रहों की युति बन रही है ग्रहों की दृष्टि एक ही जगह पर है साधारण योग नहीं है। ये एक दिन में बनने वाले सारे योग हैं इतने सारे योग 6 महीने साल भर में जाकर बनते हैं यहां तो 1 दिन में इतने सारे योग बना रहे हैं।

कौन कौन से बन रहे हैं योग

बुद्ध और सूर्य दोनों एक साथ है शनि और चंद्रमा की श्रुति बन रही है सूर्य राहु का ग्रहण योग बन रहा है। तो चंद्रमा और राहु का भी ग्रहण योग बन रहा है यानी दो तरह के ग्रहण सूर्य और राहु से भी ग्रह योग बन रहा है, तो चंद्रमा और राहु से भी ग्रहण योग बन रहा है उसके अलावा सूर्य चंद्रमा मिलकर के अमावस्या योग भी बना रहे हैं। शुक्र चंद्र का सम सप्तक योग बन रहा है। शुक्र बुध मिलकर के लक्ष्मी नारायण योग बना रहे हैं। राहु बुद्ध का जड़त्व योग बन रहा है। शुक्र और राहु मिलकर लंपट योग बना रहे हैं। सूर्य और शनि का योग बन रहा है।

चंद्रमा और बुद्ध के अलावा कोई भी ग्रह अस्त नहीं है। बुद्ध अपने नीच राशि में है और शुक्र अपने उच्च राशि में है तो बुद्ध का नीच भंग राजयोग भी बन रहा है। ऐसे में बुद्ध का असर काम कर रहा है।
कलयुग के अंदर इसका नीच राशि में होना बृहस्पति का यानी जो अगला तत्व है उसका सक्रिय होना, उसके घर में सब कुछ होना। यहां उच्च में है शुक्र जो बृहस्पति के बाद अगला टाइम और रखता है। चंद्रमा और राहु से भी ग्रहण योग बन रहा है। सूर्य और शनि का सम सप्तक योग बन रहा है।

मंगल इस समय स्वतंत्र है

वहीं इस समय मंगल पर किसी भी ग्रह की दृष्टि नहीं है यानी मंगल अकेला ऐसा ग्रह है जिस पर किसी भी ग्रह की कोई दृष्टि है ही नहीं ऐसे में मंगल बिल्कुल स्वतंत्र है परिणाम देने के लिए और मंगल जो होता है वह स्थायीत्तों का प्रतीक होता है किसी आकर किसी सृजन का प्रतीक होता है आपका शरीर मंगल का प्रतीक है यह धरती मंगल का प्रतीक है तो सोचिए इस परिवर्तन के दौर में जो यह धरती पर परिवर्तन होने जा रहा है वह तत्व पूर्ण दया स्वतंत्र है यानी किसी की पकड़ में वह है ही नहीं।

8 ग्रहों से दृष्ट है केतु

8 ग्रहों की दृष्टि केतु पर है जो अंत को दर्शाता है परिवर्तन को दर्शाता है मोक्ष को दर्शाता है मुक्ति को दर्शाता है अब अगर इतने सारे योग एक ही दिन में बन रहे है तो ये गंभीरता को दर्शाते हैं।

30 मार्च 2025 को होने क्या जा रहा है?

जानकारों की मानें तो इस दौरान मौसम के अंदर भी बहुत बड़ा बदलाव आएगा और वनस्पति के लेवल पर भी बहुत सारे भूखंडों पर एक अलग तरह की स्थिति देखने को मिलेगी यानी जो चीज जहां पैदा होती थी वहां से वह विलुप्त होने लगेगी क्योंकि क्लाइमेट चेंज का असर उनकी प्रजातियों पर भी जरूर पड़ेगा जानवरों का व्यवहार बदल रहा है। साथ में मनुष्य की मनोस्थिति में भी बड़ा बदलाव होगा।

कई जानकारों का ये भी मानना है कि भविष्य मलिका भी इसी समय को कहती है कि जब शनि मीन राशि में प्रवेश करेगा तो कुछ इस तरह की घटना होगी अगर हम जगन्नाथ पुरी की बात करें तो वहां से ऐसे संकेत मिलते हैं जो बहुत बड़ा परिवर्तन दर्शाते भी है ऐसे में आध्यात्मिक की सोच रखने वाले लोगों के सामने भी यह समय बहुत सारे संकट को लेकर आ रहा है। ध्यान रहे जब हम किसी जानकार को कुंडली दिखाते हैं तो अगर वह कहते हैं कि आपकी कुंडली में विशेष योग है तो हम बड़े उत्साहित हो जाते हैं कि इसका अच्छा परिणाम तो हमें मिलेगा। लेकिन अब जरा सोचें जब एक ही दिन में 18 से ज्यादा योग बना रहे हों, तो क्या वह दिन साधारण दिन हो सकता है।

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