अफगान महिलाओं पर एक और कड़ा प्रतिबंध लागू, तालिबान ने कुरान की तिलावत पर लगाई रोक

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काबुल । तालिबान ने अफगान महिलाओं पर एक और कड़ा प्रतिबंध लागू किया है, जिसमें महिलाओं को एक-दूसरे की मौजूदगी में अपनी आवाज का इस्तेमाल करने पर पाबंदी लगाई गई है। अगर एक से ज्यादा महिलाएं एक साथ इकट्ठी हैं तो वे आपस में बातें नहीं कर पाएंगी। तालिबान के उप-प्रधानमंत्री और ‘उपदेश एवं सदाचार’ मंत्री मोहम्मद खालिद हनफी ने एक ऑडियो बयान जारी कर कहा कि महिलाएं अब एक-दूसरे की मौजूदगी में कुरान की तिलावत नहीं कर सकतीं। यानी वे अब कुरान की आयतें नहीं पढ़ सकती हैं। इस आदेश की जानकारी अमेरिका स्थित अमु टीवी ने दी है। यह अफगानिस्तान के पूर्व पत्रकारों द्वारा संचालित चैनल है।

“महिला को तकबीर संभव नहीं , तो गायन का भी हक नही”

हनफी ने अपने बयान में कहा, “अगर एक महिला को तकबीर नहीं कहने दिया जा सकता, तो भला उसे गाने की अनुमति कैसे दी जा सकती है।” हनफी ने यह भी कहा कि महिला की आवाज को ‘अवरा’ समझा जाता है, जिसका अर्थ है कि इसे ढका जाना चाहिए और सार्वजनिक रूप से सुनाई नहीं देनी चाहिए, चाहे वह अन्य महिलाओं के बीच में ही क्यों न हो।

मोहम्मद खालिद हनफी तालिबान के सुप्रीम लीडर के करीबी माने जाते हैं और उन पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंध और यूरोपीय संघ द्वारा प्रतिबंध लगाए गए हैं। अगस्त 2021 में सत्ता में लौटने के बाद, तालिबान ने महिलाओं के अधिकारों पर कई प्रतिबंध लगाए हैं, जो उनके 1990 के दशक के शासन की याद दिलाते हैं, जब उन्होंने टेलीविजन और संगीत को भी निषेध कर दिया था। अब तालिबान ने पैमाना तय कर दिया है कि महिलाएं कितना बोलेंगी, किसके बगल में बैठेंगी, किसके साथ बाहर निकलेंगी और क्या पहनेंगी।

महिलाओं की शिक्षा, रोजगार और सार्वजनिक जीवन पर रोक

पिछले तीन वर्षों में, तालिबान ने अफगान लड़कियों की मिडल और हाई स्कूल तक की शिक्षा, विश्वविद्यालय में पढ़ाई और सरकारी व अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों में रोजगार के अवसरों को भी बंद कर दिया है। इसके अलावा, उन्होंने अफगान महिलाओं के सामाजिक जीवन पर भी सख्ती से नियंत्रण लगाया है, जिनमें ब्यूटी सैलून बंद करना, यात्रा के लिए पुरुष संरक्षक की आवश्यकता, पूरे शरीर और चेहरे को ढकने का अनिवार्य आदेश, और महिला समाचार प्रस्तोताओं के लिए प्रसारण के दौरान मास्क पहनना शामिल हैं। अफगानिस्तान में तालिबान की बढ़ती पाबंदियों ने देश की महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता को और संकीर्ण कर दिया है।

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