निज्जर हत्याकांड में आरोपों पर भारत का कड़ा रुख, कनाडा के छह राजनयिक निष्कासित किए

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  • अपने उच्चायुक्त को भी वापस बुलाया
  • …संकीर्ण सियासी लाभ के लिए भारत को बदनाम कर रहे त्रदो
  • दो-टूक कहा-सुरक्षा को लेकर कनाडा सरकार पर बिल्कुल भरोसा नहीं
  • कनाडा सरकार अलगाववादियों को जान-बूझकर दे रही बढ़ावा

कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त समेत छह राजनयिकों को खालिस्तान समर्थक हरदीपसिंह निज्जर की कथित हत्या की जांच से जोड़े जाने पर भारत ने सख्त रुख अपनाया है। कनाडा के बेतुके और हास्यास्यद नए आरोपों के बाद भारत ने सोमवार को अपने उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा व पांच राजनयिकों व अधिकारियों को वापस बुला लिया है। इस फैसले से बौखलाई कनाडा सरकार ने भारत के छह राजनयिकों को देश छोड़कर जाने को कहा, तो भारत ने भी कनाडा के कार्यवाहक उच्चायुक्त स्टीवर्ट रॉस व्हीलर समेत छह राजनियकों को निष्कासित कर दिया।

कनाडा के राजनयिकों को शनिवार 19 अक्तूबर को रात 12 बजे से पहले भारत छोड़ने के लिए कहा गया है। इनमें व्हीलर के साथ उपठच्चायुकत पैट्रिक हेवर्ट, प्रथम सचिव मैरी कैथरीन जॉली, लैन रॉस डेविड ट्राइट्स व पाउला ओरजुएला शामिल है।

इससे पहले, भारत ने दो-टूक कहा, कनाडा के पीएम जस्टिन त्रूदों संकीर्ण सियासी लाभ के लिए भारत विरोधी अलगाववादी एजेंडे को लगातार बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने जानबूझकर हिंसक चरमपंथियों व आतंकियों को कनाडा में भारतीय राजनियकों व समुदाय के नेताओं को परेशान करने, धमकाने-डराने के लिए जगह दी है। इसमें जान से मारने की धमकियां देना भी शामिल है। राजननियकों की सुरक्षा को लेकर त्रूदो सरकार की प्रतिबद्धता पर बिल्कुल भरोसा नहीं है।

भारत ने कनाडा के उप-उच्चायुक्त व्हीलर को तलब कर कड़ी नाराजगी भी दर्ज कराई। साफ कहा कि भारतीय उच्चायुक्त व राजनियकों को बेबुनियाद निशाना बनाना पूर्णतः अस्वीकार्य है। चेतावनी भी दी, राजनियकों पर मनगढ़ंत आगेप लगाने की कनाडा सरकार की नई कोशिशों के जवाब में अब भारत के पास आगे कदम उठाने का अधिकार सुरक्षित हैं।

विदेश मंत्रालव ने कहा, कनाडा ने रविवार को राजनयिक माध्यम से बताया था कि भारतीय उच्चायुक्त व अन्य राजनयिक एक जांच में पर्सन ऑफ इंटरेस्ट हैं। इसके मायने हैं, पुलिस को लगता है कि कोई व्यक्ति अपराध में शामिल हो सकता है, लेकिन उस पर औपचारिक आसेप नहीं लगाए जा सकते, न ही उसे गिरफ्तार किया जा सकता है। हालांकि उसकी गतिविधियों, संपर्कों व जानकारियों को जांच के दायरे में रखा जाता है।

त्रूदो ने पेशी से पहले लगाए आरोप
विदेश मंत्रालय ने कहा, कनाडा को ग़जनीति में विदेशी दखल पर आंखें मूंद लेने के कारण आलोचना झेल रही त्रूदो सरकार ने नुकसान कम करने के प्रयास म॑ जानबुझकर भारत को इसमें शामिल किया है। राजनयिकों को निशाना बनाने बाली ताजा घटना भी इसी से जुड़ी है। यह महज संयोग नहीं, आरोप तब लगाए हैं, जब त्रूदो को विदेशी हस्तक्षेप पर आयोग के समक्ष पेश होना है।

आज तक एक भी सबूत नहीं आरोप वोट बैंक की राजनीति
विदेश मंत्रालय ने दो-टू्क कहा कि कनाडा के पीएम त्रूदो अपने राजनीतिक फायदे के लिए जानबूझकर भारत को बदनाम कर रहे हैं। भारत सरकार बेतुके व हास्यप्रद आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए इसे त्रूदो सरकार के राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा मानती है, जो वोट बैंक की राजनीति पर केंद्रित है।

: मंत्रालय ने कहा, त्रूदो ने सितंबर, 2023 में आरोप लगाए थे, पर हमारे कई अनुरोधों के बावजूद कनाडा सरकार ने भारत सरकार के साथ एक भी सबूत साझा नहीं किया। कनाडा ने बिना किसी तथ्य के नए दावे किए हैं। इसमें संदेह नहीं कि जांच के बहाने राजनीतिक लाभ के लिए भारत पर कीचड़ उछालने की उसकी सोची समझी रणनीति है।भारतीय राजनयिकों को निशाना बनाने वाला यह नवीनतम घटनाक्रम उसी दिशा में अगला कदम है।

अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर अवैध गतिविधियों को ठहराया उचित
भारत ने कहा, कनाडा ने भातत-विशेधी गतिविधियों को अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर उचित ठहराया। साथ ही, कनाडा में अवैध तरीके से घुसने वालों को तेजी से ऋगरिकता दी गई। कनाडा में रहने वाले आतंकियों व संग्रठित अपराध में शामिल लोगों के संबंध में भारत सरकार के कई प्रत्यर्पण अनुरोधों को नजरअंदाज किया गया।

त्रूदो की नीयत पर सवाल
विदेश मंत्रालय ने कहा, त्रूदो की भारत के प्रति शत्रुता लंबे समय से साफ दिख रही है। 2018 में उनकी भारत-यात्रा का मकसद वोट बैंक को लुभाना था। उनके मंत्रिमंडल में ऐसे लोग शामिल हैं, जो भारत में उग्रवादी व अलगाववादी एजेंडे से खुले तौर पर जुड़े हैं। दिसंबर, 2020 में भारतीय आंतरिक राजनीति में उनके खुले हस्तक्षेप से पता चला कि वह किस हद तक जाने को तैयार थे। उनको सरकार ऐसे राजनीतिक दल पर निर्भर है, जिसके नेता भारत के प्रति खुलेआम अलगाववादी विचारों का समर्थन करते हैं।

आरोप हास्यास्पद : मंत्रालय ने कहा, भारतीय उच्चायुक्त संजय वर्मा 36 वर्षों के प्रतिष्ठित केरिअर के साथ भारत के सबसे वरिष्ठ राजनयिक हैं। उन्होंने जापान, सूडान, इटली, तुर्कियें, वियतनाम व चीन में काम किया है। कनाडा सरकार के उन पर आक्षेप हास्यास्पद हैं, जिसे अवमानना माना जाना चाहिए। मंत्रालय ने दिल्‍ली स्थित कनाडा के उच्चायोग की गतिविधियों पर भी सवाल उठाए। कहा-वे अपनी सरकार के सियासी एजेंडे को पूरा करने में लगे हैं।

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