38 सीटों पर फैसला लेने में कांग्रेस की सिट्टी पिट्टी गुम, अंदर कलह और आप से मेल मिलाप से नेताओं की सांसें फूली
नई दिल्ली। हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 67 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है, लेकिन कांग्रेस की सूची नहीं आई है। कांग्रेस में लगातार दो दिन सोमवार और मंगलवार को चुनाव समिति की मीटिंग थी। खबर है कि इस मीटिंग में करीब 66 सीटों पर चर्चा हुई, जिनमें से 52 पर सहमति बन गई है। 38 सीटों को लेकर अब तक फैसला नहीं हो सका है। इसकी वजह यह है कि इन सीटों पर जातीय और सामाजिक समीकरण साधने की चुनौती है। इसके अलावा अलग-अलग गुट दावेदारी कर रहे हैं। कांग्रेस का कहना है कि चुनाव समिति की दो मीटिंग्स में 52 उम्मीदवारों के नाम तय हो गए हैं। इनमें से 28 तो मौजूदा विधायक ही हैं।
अब जल्दी ही कांग्रेस की लिस्ट आ जाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि भूपिंदर सिंह हुड्डा की सलाह पर कांग्रेस लगातार उम्मीदवारों के ऐलान में देरी कर रही थी क्योंकि वह चाहते थे कि पहले भाजपा नामों का ऐलान करे। ऐसे में कम से कम उन सीटों पर कांग्रेस की लिस्ट आ सकती है, जहां से भाजपा ने कैंडिडेट तय कर दिए हैं। कांग्रेस में कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और भूपिंदर सिंह हुड्डा के अलग-अलग खेमे हैं। कई सीटों पर तीनों की ओर से दावेदारी की जा रही है। इसके चलते नामों का ऐलान अटक गया है।
खुद कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला ही मैदान में उतरने को तैयार हैं। ऐसे में कांग्रेस को यह भी फैसला लेना है, जबकि भूपिंदर हुड्डा इन नेताओं को टिकट देने के खिलाफ हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वह कुमारी सैलजा को अपने लिए प्रतिद्वंद्वी मानते हैं। एक अहम बात यह भी है कि ज्यादातर उन्हीं सीटों को लेकर फैसला नहीं हो पाया है, जहां बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा हार गई थी। अब तक टिकट बंटवारे में हुड्डा की ही चली है, लेकिन हाईकमान यह भी नहीं चाहता कि सैलजा और सुरजेवाला को एकदम किनारे ही लगा दिया जाए।
ऐसा इसलिए क्योंकि पार्टी फूट का संकेत नहीं देना चाहती। इसलिए सबकी सहमति से ही बचे नामों पर फैसला लेने की कोशिश हो रही है। अब कहा जा रहा है कि बाकी बची 38 सीटों के लिए एक कमेटी ही गठित की गई है। यह कमेटी देखेगी कि कौन से कैंडिडेट्स जीत सकते हैं। उन्हें ही टिकट दिया जाएगा। इस समिति में दीपक बाबरिया, मधुसूदन मिस्त्री, अजय माकन, टीएस सिंह देव और कुछ अन्य नेताओं को शामिल किया गया है। टिकट बंटवारे को लेकर एक पेच आम आदमी पार्टी से गठबंधन का भी है। पार्टी को लगता है कि पहले AAP से सीटें तय हो जाएं, उसके बाद ही कैंडिडेट घोषित हों।