Dehradun Ghataghar: हिंदू नववर्ष की पूर्व संध्या पर 2100 दीपक से जगमगाएगा
-
मेयर होंगे कार्यक्रम के मुख्य अतिथि
Nav Samvatsar 2082: हिंदू नववर्ष (Hindu Navvarsh) की पूर्व संध्या पर घंटाघर पर ब्राह्मण महासंघ 2100 दीपक जलाएगा। उत्तराखंड के संयोजक मंडल ने बृहस्पतिवार को नवनिर्वाचित मेयर सौरभ थपलियाल को अंगवस्त्र भेंटकर सम्मानित किया। महासंघ ने नव संवत्सर पर घंटाघर पर होने वाले कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मेयर को आमंत्रित किया।
नवसंवत्सर 2082 का आगमन और भाग्य
विक्रम संवत 2081 अपने अस्ताचल की ओर अग्रसर है और हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत 2082 द्वार पर दस्तक दे रहा है। हिन्दू नववर्ष के स्वागत के साथ ही जनमानस के मन में यह उत्कंठा होने लगी है कि नया वर्ष उनके जीवन में कया परिवर्तन लाने वाला है। ज्योतिषाचार्यों की नए साल को लेकर गणनाएं उनकी इस उत्सुकता को और अधिक बल दे रहीं हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कैलेंडर वर्ष बदलने से आपके भाग्य पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता! यह एक प्रमाणिक तथ्य है।
नए साल को लेकर की जाने वाली अधिकांश भविष्यवाणियां भ्रांतियों से अधिक कुछ नहीं हैं, विशेषकर वे जो जातक की राशि व लग्न के संबंध में की जा रही हों, ऐसा इसलिए भी है क्योंकि नए साल के मायने भी सभी धर्मों व समाजों में एक से नहीं है। हिन्दू धर्म में नया वर्ष चैत्र से माना जाता है, वहीं गुजरात में दीपावली से नवीन वर्ष की मान्यता है, कहीं अंग्रेजी महीने जनवरी से नया साल मनाया जाता है। प्रामाणिक तथ्य सदैव सार्वभौम होते हैं जैसे सूर्य का ताप, सूर्य की तपिश समस्त चराचर जगत को समग्ररूपेण एक-सा प्रभावित करती है।
कुछ भविष्य संकेत प्रामाणित व सटीक अवश्य होते हैं जैसे नवीन वर्ष में साढ़ेसाती व ढैय्या का प्रभाव, ग्रहण के बारे में जानकारी, गुरु व शुक्र अस्त, ग्रह गोचर इत्यादि। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार जातक के संबंध में वर्षफल का निर्धारण उसके स्वयं के जन्मदिवस से होता है ना कि कैलेंडर के नववर्ष से। जातक के वर्षफल के निर्धारण में निम्न तत्व महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
1. मुंथा- मुंथा का वर्षफल निर्धारण में विशेष महत्व होता है। मुंथा निर्धारण के लिए वर्ष लग्न में अपनी आयु के वर्ष जोड़कर 12 से भाग देने पर जो शेष बचता है उसी राशि की ‘मुंथा’ होती है। वर्ष लग्न में 4, 6, 7, 8, 12 भावगत मुंथा शुभ नहीं होती। जबकि 1, 2, 3, 5 भावगत मुंथा शुभ होती है। शुभ ग्रह से युत, शुभ ग्रह से दृष्ट एवं बलवान मुंथा सदैव शुभ होती है।
2. मुंथेश- मुंथा राशि के अधिपति ग्रह को ‘मुंथेश’ कहते हैं। वर्षफल के निधार्रण में’मुंथेश’ जन्म लग्नेश की ही भांति महत्वपूर्ण होता है। वर्षकुंडली में 4, 6, 8, 12 भावगत मुंथेश शुभ नहीं होता।
मुंथेश यदि पाप ग्रह से युत व दृष्ट हो तो परम अशुभ फल देता है। मुंथेश यदि वर्षलग्न के अष्टमेश से युति करे तो कष्टदायक होता है।
3. वर्षलग्न- जन्मलग्न या जन्मराशि से अष्टम राशि का वर्षलग्न हो तो वर्ष में रोग व कष्ट होता है।
4. चंद्रमा- वर्षकुंडली में चंद्रमा 1, 6, 7, 8, 12, भावों में पाप ग्रह से दृष्ट हो या पाप ग्रह से युत हो तो वर्ष में प्रबल अरिष्ट देता है। यदि वर्षकुंडली में चंद्रमा पर गुरु की दृष्टि हो तो अशुभता में अतीव कमी होकर शुभता में वृद्धि होती है।
5. वर्षकुंडली- यदि वर्षकुंडली में मुंथेश, वर्षश और जन्म लग्नेश वर्ष कुंडली में अस्त, नीचराशिगत, या पापग्रहों से युत हों या दृष्ट हों तो जातक का राजयोग भी सम्पूर्ण फलित नहीं होता।
इन तथ्यों से हर कोई समझ ही सकता है कि नववर्ष की ज्योतिषीय गणनाएं कितनी सटीक व प्रामाणिक होती है। अत: नववर्ष के अवसर पर दिए जाने वाले राशिफल के संबंध अपने स्वविवेक से निर्णय करें।