अजमेर दरगाह के दीवान की इस मांग के समर्थन में आई हिंदू सेना, जानें क्यों?
-
PM मोदी को अजमेर दरगाह के दीवान ने लिखा पत्र
Ajmer News: अजमेर दरगाह पर हिंदू मंदिर का दावा होने के बीच एक नई खबर सामने आई है। दरगाह के दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन ने एक बयान जारी कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अजमेर को राष्ट्रीय जैन तीर्थ स्थल घोषित करने की मांग की है। दरगाह दीवान ने पीएम मोदी को इस संदर्भ में एक पत्र भी लिखा है।
क्या कहा? अजमेर दरगाह के दीवान ने
ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अजमेर को राष्ट्रीय स्तरीय जैन तीर्थ स्थल घोषित करने की मांग की है। दीवान ने बताया कि भारत विभिन्न धर्मों और समृद्ध आध्यात्मिक विरासतों का संगम है। यह सहस्र संतों, ऋषियों और विभूतियों की तपोस्थल रही है। मानवता के कल्याण के लिए संतों ने अनमोल योगदान दिया है। अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह, पुष्कर जगतपिता ब्रह्माजी का मंदिर और सरोवर है।
मांग का समर्थन विष्णु गुप्ता ने किया
दीवान के इस बयान पर हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने कहा कि कम से कम दरगाह दीवान ने यह तो माना की अजमेर जैन धर्म की प्राचीन तीर्थ स्थली रही है। उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने स्वयं अजमेर कोर्ट में यह मामला दायर किया है कि दरगाह शरीफ जिस स्थान पर स्थित है, वहां पहले संकट मोचन महादेव मंदिर था, जिसे तोड़कर दरगाह बनाई गई थी। यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है।
क्या है? यहां का इतिहास
गौरतलब है कि अजमेर का इतिहास और वर्तमान जैन संप्रदाय से जुड़ा हुआ है। जैन धर्म के आचार्य विद्यासागर महाराज का संबंध अजमेर से है। विद्यासागर ने 30 जून 1968 को अजमेर में आचार्य ज्ञानसागर महाराज से मुनि पद की दीक्षा ली थी । अजमेर में महावीर सर्किल के पास दीक्षास्थल पावन तीर्थ बन चुका है। यहां 71 फीट का कीर्ति स्तंभ और दीक्षा से जुड़े भित्ति चित्र उकेरे गए हैं। मालूम हो कि हाल फिलहाल में अजमेर में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में मंदिर होने को लेकर किए जा रहे दावों के बीच ऐतिहासिक ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ मस्जिद में भी मंदिर होने का दावा किया गया था।