National Games: देश रक्षा में जुटी सेना, खेल में भी जीत रही है सोना

0
  • खिलाड़ियों के लिए द्रोणाचार्य बने जवान

भारतीय सेना के जवान देश की सरहद में ही मातृभूमि की रक्षा में नहीं जुटे हैं, बल्कि खिलाड़ियों को भी तराश कर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेलों के लिए तैयार कर रहे हैं। इसके अलावा प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक पर चमक रहे हैं।

टिहरी बांध की झील में आयोजित राष्ट्रीय खेल के तहत चल रही रोइंग प्रतियोगिता के अधिकांश खिलाड़ियों को भी सेना के जवानों ने ही द्रोणाचार्य की भूमिका निभाते हुए पानी की लहरों से खेलना सिखाया है। टिहरी बांध की झील में आयोजित रोइंग प्रतियोगिता में देशभर से 19 प्रदेश और एसएससीबी के 210 खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं, जिनमें से 114 पुरुष और 96 महिला खिलाड़ी शामिल हैं।

इनमें से 17 टीमों के कोच भारतीय सेना के सूबेदार हैं। जिनमें से कई तो अभी भी भारतीय सेना के हिस्सा हैं, तो कई सेवानिवृत्त होने के बाद भी गुरु द्रोणाचार्य की भांति अर्जुन तैयार कर रहे हैं।हरियाणा प्रदेश की टीम के कोच चंदा चहल ने बताया कि वे बीते दस साल से रोइंग का प्रशिक्षण दे रहे हैं। वे अब सूबेदार पद से सेवानिवृत्त हो गए हैं, लेकिन रोइंग के खिलाड़ियों को सोने की भांति निखारने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं। चहल वॉलीबाल के भी खिलाड़ी रह चुुके हैं।

वर्ल्ड यूनिसिन में भी पांच पदक जीत चुके

राष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए कई बार खेल चुके हैं, लेकिन जब सेना में गए तो चयन रोइंग के लिए हुआ। वर्षों की मेहनत के बाद रोइंग में महारथ हासिल की और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक जीता। अब सेवानिवृत्त होने के बाद एकेडमी के जरिये युवाओं को रोइंग प्रतियोगिता के लिए तैयार किया। उन्होंने बताया कि उनकी एकेडमी से प्रशिक्षित खिलाड़ी एशियन गेम्स में दो गोल्ड, गोवा में हुए 37वें राष्ट्रीय खेलों में दो गोल्ड और एक ब्रॉन्ज जीत चुके हैं। इसके अलावा नीदरलैंड में आयोजित वर्ल्ड यूनिसिन में भी पांच पदक जीत चुके हैं।

महाराष्ट्र टीम के कोच सूबेदार विकल सार्वे 2016 से रोइंग प्रतियोगिता का प्रशिक्षण दे रहे हैं। उनकी तैनाती अभी पुणे में है। उन्होंने बताया कि उन्हें रोइंग फेडरेशन की ओर से उन्हें कोच नियुक्त किया गया है। उन्होंने रोइंग प्रतियोगिता में वेस्ट बंगाल, मद्रास बोर्ड क्लब के खिलाड़ियों को खेलते देखा था, लेकिन सेना में भर्ती के बाद जब उन्हें रोइंग के लिए चुना गया, तो यह सुनहरा मौका था। उन्होंने बताया कि वे गत आठ साल से रोइंग फेडरेशन के खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं और अब तक कई खिलाड़ी राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और ओलपिंक में खेल चुके हैं।

सेना के जवान रोइंग खिलाड़ी गुरु प्रताप सिंह रहने वाले तो पंजाब के हैं, लेकिन महाराष्ट्र की टीम से खेल रहे हैं। गुरु प्रताप गत छह साल से रोइंग प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं। गोवा में हुए पिछले राष्ट्रीय खेल में वे दो गोल्ड और एक सिल्वर जीत चुके हैं।

बेटियों को देते हैं निशुल्क प्रशिक्षण

हरियाणा टीम के कोच सूबेदार चंदा चहल का कहना है कि बेटियां रोइंग प्रतियोगिता में आगे आएं इसके लिए वे बेटियों को पिछले दस साल से निशुल्क प्रशिक्षण दे रहे हैं। उनकी एकेडमी से अब तक कई बेटियां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी हैं।

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *