“महामंडलेश्वर की डिग्री आप रातों-रात नहीं ले सकतें…”
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किन्नर अखाडा के संस्थापक ने ममता कुलकर्णी पर लगाएं संगीन आरोप ! जानें क्या है पूरा मामला ?
Rishi Ajay Das on Mamta Kulkarni: बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाडा के संस्थापक ऋषि अजय दास ने निष्कासित कर दिया है। उन्होंने ममता कुलकर्णी के साथ-साथ महंत महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी को भी निष्कासित कर दिया है।
क्या बोले अजय दास ?
अजय दास ने कहा कि मैंने 13 अक्टूबर 2015 को उज्जैन (एमपी) में अपने आश्रम में किन्नर अखाड़े की स्थापना की थी। 2016 में सिंहस्थ कुंभ में उज्जैन में मेरे नाम से जमीन आवंटित की गई थी। मैंने किन्नर अखाड़े की स्थापना की और इसका गठन किया।
क्या है ममता कुलकर्णी के ऊपर कार्रवाई की मुख्य वजह ?
कलेक्टर बनने के लिए भी देनी पड़ती है परीक्षा
ऋषि अजय दास ने कहा कि जिस प्रकार से इन्होने मनमानी की है, धर्माचरण नहीं किया है, आडम्बर फैलाया है और एक ऐसे व्यक्ति को आचार्य महामंडलेश्वर बना दिया जो कि किसी भी योग्य नहीं था। कलेक्टर बनने के लिए भी एग्जाम पास करना पड़ता है। बिना किसी नियम-कायदे के उनको बनाया गया इसलिए मैंने उन्हें हटाने का घोषणा किया।
#WATCH प्रयागराज: ऋषि अजय दास(जो कहते हैं कि उन्होंने किन्नर अखाड़ा की स्थापना की) ने कहा, "मैंने किन्नर अखाड़ा की स्थापना की थी… ममता कुलकर्णी जैसी महिला जिस पर देशद्रोह का आरोप है… उन्हें अचानक संन्यास देकर सीधे महामंडलेश्वर का पद दे दिया गया था, यह न्याय उचित नहीं है। इसी… pic.twitter.com/QfQyP7sjrn
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 31, 2025
महामंडलेश्वर की डिग्री आप रातों-रात नहीं ले सकते
ऋषि अजय दास ने कहा कि साधना कौन कितनी कर रहा है ये तो बाद की बात है। वो विदेश से अभी-अभी लौटी हैं। साधना उन्होंने की तो वो महंत बनती उसके बाद महामंडलेश्वर बनती। एक प्रक्रिया होती है अभ्यागत महंत और महामंडलेश्वर होने की। ये सीधे लाइन तोड़ के महामंडलेश्वर की डिग्री आप रातों-रात नहीं ले सकते हैं। ये कोई खेल नहीं चल रहा है।
Rishi Ajay Das, founder of Kinnar Akhara, expels Mamta Kulkarni from the Akhara. He has also expelled Mahamandaleshwar Laxminarayan Tripathi from the Kinnar Akhara for inducting Mamta Kulkarni, who is accused of treason, to the Akhara and designating her as Mahamandaleshwar… pic.twitter.com/Hhzezst49r
— ANI (@ANI) January 31, 2025
मुंडन नहीं कराया
ऋषि अजय दास ने कहा कि अखाडा तो था है और रहेगा। इन लोगों ने 2019 में मेरे जाने के बाद जूना के साथ पैक्ट/अनुबंध किया। वो भी मेरी सहमति से नहीं हुआ। मेरे हस्ताक्षर को बदर कर लिया। रुद्राक्ष की माला धारण कर ली। जबकि किन्नर अखाडा की जो माला है वो वैजन्ती माला थी। वैजन्ती माला श्रृंगार की प्रतीकात्मक थी और रुद्राक्ष सन्यास की प्रतीकात्मक है। उन्होंने रुद्राक्ष धारण किया और जूना अखाड़े के साथ अपने नाम के आगे ‘गिरी’ शब्द का इस्तेमाल कर लिया तब ये संयासी हो गए। सन्यासी का कर्म ये होता है कि उसका मुंडन किया जाता है, उसे साजो-सामान से दूर रहना पड़ता है। साजो-श्रृंगार से दूर रहने के बजाए ये सारी चीज़ों में इन्वॉल्व हैं और अपने आप को तथाकाहित आचार्य महामंडलेश्वर कहते हैं।