भारत अभूतपूर्व गति, पैमाने और दायरे के साथ वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन में अग्रणी : जोशी

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नई दिल्ली। केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बुधवार को कहा कि भारत अभूतपूर्व गति, पैमाने और दायरे के साथ वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन का नेतृत्व कर रहा है। ऊर्जा मंत्री ने नई दिल्ली में भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) के तीसरे भारत ऊर्जा परिवर्तन सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही।

केंद्रीय मंत्री ने फिक्‍की हाउस में आयोजित सम्मेलन के दौरान भारत की ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति पर जोर देते हुए विश्वास व्यक्त किया। उन्‍होंने कहा कि भारत 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय क्षमता हासिल कर लेगा, जो 2047 तक 1800 गीगावाट क्षमता की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है। जोशी ने इस अवसर पर पॉवरिंग इंडियाज एनर्जी ट्रांजिशन का भी विमोचन किया। सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए उन्‍होंने भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में विकास की गति, पैमाने और दायरे के बारे में बात की।

जोशी ने अपने संबोधन में रेखांकित किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने न केवल महत्वाकांक्षी ऊर्जा परिवर्तन लक्ष्य निर्धारित किए हैं, बल्कि उन्हें रिकॉर्ड गति से प्राप्त भी किया है। भारत ने पहले ही लगभग 100 गीगावाट सौर क्षमता हासिल कर ली है, जबकि आने वाले वर्षों में सालाना 50 गीगावाट नई अक्षय ऊर्जा क्षमता जोड़ने की तैयारी है। पिछले दस वर्षों में भारत की स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता में लगभग 200 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो 2014 में 75.52 गीगावाट से बढ़कर आज 220 गीगावाट हो गई है।

इसके अलावा उन्होंने बताया कि ग्रिड से जुड़े सौर ऊर्जा संयंत्रों के लिए शुल्क में 80 फीसदी की कमी आई है, जो 2010-11 में 10.95 रुपये प्रति यूनिट से घटकर केवल 2.15 रुपये प्रति यूनिट रह गया है, जिससे भारत किफायती अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी बन गया है। जोशी ने कहा कि भारत ने न केवल महत्वाकांक्षी ऊर्जा परिवर्तन लक्ष्य निर्धारित किए हैं, बल्कि उन्हें रिकॉर्ड गति से हासिल भी कर रहा है।

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