अरविंद केजरीवाल को बड़ा झटका, चुनाव से पहले ED को बड़ी मंजूरी

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  • आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव (जो 5 फरवरी को होने वाले हैं) से पहले राजनीतिक चुनौतियां और बढ़ सकती हैं

Ex CM Arvind Kejriwal: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को दिल्ली आबकारी नीति मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर मुकदमा चलाने के लिए गृह मंत्रालय (MHA) से मंजूरी मिल गई है। यह मंजूरी दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा दी गई थी और इसके बाद केजरीवाल के खिलाफ आरोप तय किए जा सकते हैं। इससे केजरीवाल के लिए आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव (जो 5 फरवरी को होने वाले हैं) से पहले राजनीतिक चुनौतियां और बढ़ सकती हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर में यह फैसला दिया था कि सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने से पहले संबंधित मंत्रालय से पूर्व मंजूरी लेनी होगी। इसके बाद, ईडी ने उपराज्यपाल को एक पत्र भेजकर आरोप लगाया कि केजरीवाल “घोटाले के सरगना और मुख्य साजिशकर्ता” हैं और मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी। हालांकि, AAP ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है, जिसमें उनका दावा है कि बिना पूर्व मंजूरी के आरोपपत्र दायर करना अवैध है। यह घटनाक्रम केजरीवाल के लिए उनके राजनीतिक भविष्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है, खासकर आगामी चुनाव को देखते हुए।

दिल्‍ली आबकारी घोटाले में केजरीवाल पर चलेगा मनी लांड्रिंग का मुकदमा

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ईडी को दिल्‍ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के विरुद्ध आबकारी नीति से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। ईडी ने पिछले वर्ष मार्च में केजरीवाल
को गिरफ्तार करने के बाद प्रिवेंशन आफ मनी लांड़िंग एक्ट (पीएमएलए) कोर्ट में केजरीवाल के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया था। केजरीवाल जमानत पर हैं और नई दिल्‍ली सीट से दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय अनुरोध को मंजूरी देने के लिए सक्षम प्राधिकारी है और ईडी ने उपराज्यपाल के जरिये इस आशय का अनुरोध किया था। इस मामले में अन्य आरोपितों के खिलाफ भी अनुमति प्राप्त की गई है। जिनमें पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी हैं।

व्यक्तिगत रूप से भी आरोपित हैं केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आबकारी नीति से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में मुकदमे की अनुमति दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान दी गई है। ईडी अब उन सभी आरोपित नेताओं, मंत्रियों और ब्यूरोक्रेट्स के विरुद्ध सीआरपीसी व्की धारा 197(1) के तहत ऐसी मंजूरी की मांग कर रही है जिनके विरुद्ध उसने आरोप पत्र दाखिल किया है या करने वाली है। यह कदम सुप्रीम कोर्ट के नवंबर, 2024 के फैसले के बाद उठाया गया है, ज़िसमें कहा गया था कि ईडी को सीबीआइ की तरह इस प्रक्रिया का फलन करना होगा।

केजरीवाल को उनकी व्यक्तिगत क्षमता के साथ-साथ आप के राष्ट्रीय संयोजक के रूप में भी आरोपित बनाया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री को ईडी ने दिल्‍ली आबकारी घोटाले का मुख्य सूत्रधार और प्रमुख साजिशकर्ता बताया है। आरोप है कि उन्होंने दिल्‍ली सरकार के मंत्रियों, आप नेताओं और अन्य के साथ मिलीभगत से यह काम किया।

ईडी ने पहले दावा किया था कि आप एक राजनीतिक पार्टी होने के नाते भारत के नागरिकों का एक संघ या निकाय है और इसलिए इसे पीएमएलए की धारा-70 के
तहत कंपनी के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। अपराध के समय केजरीवाल उक्त कंपनी यानी आप के प्रभारी थे। इसलिए वह और उनकी पार्टी मनी लांड्रिंग रोधी कानून के तहत उल्लिखित अपराधों के लिए दोषी माने जाएंगे, उन पर मुकदमा चलाया जाएगा और दंडित किया जाएगा। गौरतलब है कि आबकारी मामला 2021-22 के लिए दिल्‍ली सरकार की आबकारी नीति को तैयार करने और लागू करने में कथित भ्रष्टाचार व मनी लांडिंग से संबंधित है।

 

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