Railway Falling credibility- रेलवे की एक ऐसी घटना जो आपको झकझोर देगी, जानें कैसे धोखा देते हैं यात्रियों को
भारतीय रेल दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है, ऐसे में जहां इसकी सुविधाओं की वृद्धि को सोचते हुए सरकार की ओर से इसका एक बड़ा हिस्सा निजी हाथों को दिया गया। ताकि यात्रियों की सुविधाओं में बढौतरी हो सके, लेकिन यहां तो कुछ अलग ही स्थिति सामने आ रही है। दरअसल अब ये प्राइवेट अटैंडर यात्रियों को सुविधाओं न देने पर उससे बचने के लिए यात्रियों को धमकाते हुए देखे जा रहे हैं।
असल में एक मामला सामने आया है जहां एक यात्री द्वारा देहरादून से बनारस वाली ट्रेन में यात्रा की जा रही थी, ऐसे में बरेली के पास जब उसके द्वारा अटेंडर से कंबल व चदर मांगी गई तो अटेंडर बोला, हम तो प्राइवेट हैं पर ध्यान रखें बरेली आ रहा है हम तुम्हें यहीं रिक्खवा देंगे…
बात हो रही है 21 दिसंबर को शाम 06.30 पर देहरादून से चली ट्रेन नंबर 15120 की जिसके कंपार्टमेंट बी 1 का अटेंडर न केवल बेहुदा और बदतमीजी से लोगों से बात करता हुआ देखा गया, बल्कि देहरादून से निकलने के कुछ ही देरी बाद सीट 7 पर जाकर इस तरह सो गया कि उसे कोई न तो पहचान पाए ना ही ढूंढ पाए।
लोग कई परेशानियों के लिए उसे लगातार ढूंढते रहे लेकिन व मुंह ढ़क कर इधर उधर को अलट पलट तो करता रहा लेकिन नए आने वाले यात्रियों को भी चादर व कंबल सहित टकिया आदि देने से बचता रहा। वहीं कुछ सीटों पर पहले से ही फटे व गंदे कंबल रखे गए थे, यात्री जब इन्हें बदलवाने के लिए जब अटेंडर को ढूंढ रहे थे तब भी वह चुपचाप छिप गया। जिससे यात्रियों को धुले हुए अच्छे कंबल व चादर न देनी पड़े।
ऐसे में कई यात्रियों को पूरी रात ठंड से परेशान होना पड़ा। इसके बाद बड़ी मुश्किल में जब कुछ यात्रियों ने सुबह करीब 04:30 बजे इस अटैंडर को ढूंढ लिया तो पहले तो यह बचने की कोशिश करते हुए बोला अभी 2 मिनट पहले ही तो लेटा हूं, लेकिन जब एक यात्री ने दबाव बनाया कि मैं देहरादून से चढ़ा हूं न तो चादर तकिया मिली न कंबल तो ये धौंस देता हुआ बोला ये बरेली है ठीक करा दुंगा आपको ज्यादा बोले तो हम तो प्राइवेट हैं।
इस पर यात्री का भी पारा चढ़ गया, ऐसे में अटैंडर के पीटने की स्थिति निर्मित होने लगी, लेकिन गनमीत रही कुछ समझदार लोगों ने इस स्थिति को रोक लिया, समझदार लोगों से बातचीत के बाद भले ही यात्री द्वारा इस संबंध में शिकायत नहीं की गई, लेकिन आसपास मौजूद लोग लगातार इस अटैंडर की बदतमीजी को लेकर बातचीत करते देखे गए।
जिसके बाद बड़ी मुश्किल में अटेंडर ने यात्री को केवल चादर और तकिया ही दी, जबकि यात्री को लखनउ से भी आगे तक जाना था। सीट पर एक फटा पुराना गंदा कंबल जरूर मौजूद था। जिसे यात्री छूना भी मुनासिब नहीं समझा।
कुल मिलाकर सरकार की और से यात्रियों की सुविधाओं में बढौतरी की कोशिशों पर इस तरह के अटैंडरों की हरकतों से पलीता लगता दिख रहा है।